Alfred Nobel: Alfred Nobel: A Visionary Philanthropist by Vinod Kumar Mishra

· Prabhat Prakashan
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आज नोबल पुरस्कार के संबंध में कौन नहीं जानता! जी हाँ, दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार। नोबल पुरस्कार विश्व के महान् व सुविख्यात व्यक्ति अल्फ्रेड नोबल के नाम पर पड़ा। इसकी भी अपनी रोचक कहानी है।
अल्फ्रेड नोबल को अपने जीवन में जितनी खुशियाँ यदा-कदा मिलीं, उनसे बहुत ज्यादा दु:ख उन्हें झेलने पड़े। उन्होंने बचपन में तरह-तरह की शारीरिक व मानसिक पीड़ाएँ झेलीं और पिता के दो बार दिवालिया होने के कारण भयंकर गरीबी और अन्य यंत्रणाएँ भी भुगतीं।
वे अपने आविष्कारों में सफल रहे, पर जीवनसाथी पाने में असफल। उनके उद्योग फूलते-फलते रहे, पर पारिवारिक संसार उजाड़ ही रहा। दानवीर नोबल पर देशद्रोह का आरोप लगा और वे दर-बदर भी हुए। उनकी मृत्यु का समाचार गलती से उनकी मृत्यु से काफी पूर्व ही एक समाचार-पत्र में छप गया और इस क्रम में उनकी ऐसी छीछालेदर हुई थी कि वे न केवल जीवन से डरने लगे वरन् इस बात पर भी काँप उठते थे कि कहीं मृत्यु के बाद उनके शव की दुर्गति न हो। अपने अंतिम क्रियाकर्म का नया त्वरित उपाय भी उन्होंने अपने आविष्कारी मस्तिष्क द्वारा निकाल लिया था।
पर क्या दुर्गति रुक पाई। आखिर कैसे उनका व्यक्तित्व व कृतित्व उस फूल की तरह खिला, जो हर वर्ष अपने मोहक सौंदर्य व प्रेरक सुगंध से पूरे संसार को अपने आविष्कारी पथ पर तेजी से, निर्बाध रूप से लिये चल रहा है? आइए, पढ़ें अल्फ्रेड नोबल की जीवन-गाथा।

Discover the inspiring story of Alfred Nobel, the visionary philanthropist behind the prestigious Nobel Prizes. This enlightening biography delves into Nobel's life, his groundbreaking inventions, and his enduring legacy as a champion of scientific, literary, and humanitarian achievements that continue to shape our world today.

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作者简介

12 जनवरी, 1960 को जनमे विनोद कुमार मिश्र मात्र तीन वर्ष की आयु में पोलियोग्रस्त हो गए थे। 80 प्रतिशत विकलांगता के बावजूद वह आज कर्मठता के शिखर पर एक उदाहरण बन गए हैं। सन् 1983 में उन्होंने रुड़की विश्‍वविद्यालय (आईआईटी) से इलेक्ट्रॉनिक्स व दूरसंचार में डिग्री प्राप्‍त की और फिर एम.बी.ए. किया। अब तक उनकी 44 पुस्तकें व 300 से अधिक लेख प्रकाशित हो चुके हैं। ‘विकलांगता : समस्याएँ व समाधान’, ‘विकलांग विभूतियों की जीवन-गाथाएँ’, ‘कमजोर तन, मजबूत मन’, ‘विकलांगों के लिए रोजगार’, ‘Eminent Disabled People of the World’, ‘Career opportunities for the Disabled’, ‘विकलांगों के अधिकार’, ‘इक्कीसवीं सदी में विकलांगता’, ‘विकलांग स्वस्थ और आत्मनिर्भर कैसे बनें’, ‘थॉमस अल्वा एडिसन’, ‘अल्बर्ट आइंस्टाइन’, ‘सौर ऊर्जा’, ‘चार्ल्स डार्विन’ तथा ‘लियोनार्दो द विंची’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। इन्होंने ‘भारत में विज्ञान और भारतीय वैज्ञानिक’, ‘साधारण आविष्कारों की असाधारण सफलताएँ’, ‘वैज्ञानिक भारत का निर्माण’ एवं ‘अक्षय ऊर्जा स्रोत’ जैसी विज्ञान संबंधी महत्त्वपूर्ण कृतियाँ भी दी हैं। उन्हें ‘राष्‍ट्रपति पदक’, हिंदी अकादमी द्वारा ‘साहित्यिक कृति सम्मान’, योजना आयोग द्वारा ‘कौटिल्य पुरस्कार’ तथा ‘प्राकृतिक ऊर्जा पुरस्कार’ जैसे अनेक सम्मान प्राप्‍त हो चुके हैं। संप्रति : भारत सरकार के एक उद्यम में मुख्य प्रबंधक।

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