मेरा नाम अशोक प्रियदर्शी है, मैं उत्तर प्रदेश के जनपद चित्रकूट से हूँ। मैंने हिंदी में परास्नातक किया है। कविताओं के प्रति बचपन से ही मेरी रुचि थी। पहले मेरी कविताएं सिर्फ डायरी की गोद में रहती थीं फिर धीरे धीरे विभिन्न समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में अपनी अलग पहचान बनाना शुरू किया।