BAHUAYAMI JEEVAN KE DHANI PT. GOPAL PRASAD VYAS: Bahuayami Jeevan Ke Dhani Pt. Gopal Prasad Vyas: The Life and Works of A Visionary Philosopher by Santosh Mata

· Prabhat Prakashan
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स्वनिर्मित व्यक्तित्व एवं कृतित्व के धनी पंडित गोपाल प्रसाद सच्चे अर्थों में हिंदी-सेवी थे। व्यासजी महात्मा गांधी के आदेश से ही स्वाधीनता आंदोलन में न कूदकर ‘कलम के धनी’ बने और दिल्ली में ‘हिंदी भवन’ निर्माण के लिए राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडनजी से की गई प्रतिज्ञा को पूर्णता तक पहुँचाया।

ब्रजभाषा के सीमित प्रदेश से निकल खड़ी बोली में भी गद्य और पद्य विधाओं में सिद्धहस्त व्यासजी ने खूब लिखा। इतना ही नहीं; हिंदी भाषा; साहित्य; समस्त भारतीय भाषाओं तथा शिक्षा-संस्कृति के बहुआयामी विकास हेतु साहित्यिक; सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्रिया-कलापों के कार्यान्वयन हेतु विशाल सभागार तथा साहित्यकार सदन का सपना साकार कर ‘हिंदी भवन’ निर्माण के केंद्रबिंदु बने। राजधानी दिल्ली में हिंदी की पताका फहरानेवाले वे हिंदी-भवन की नींव बन सर्वदा के लिए हिंदी का पथ प्रशस्त कर गए। सच ही तो है—‘जयन्ति ते सुकृतिनः येषां यशःकाये जरा-मरणजं भयं नास्ति’। निश्चित ही उनकी यश-काया सभी भारतीय भाषाओं को उन्नति के शिखर पर पहुँचाती रहेगी।

सच्चे देशभक्त; कलम के सिपाही; निस्स्वार्थी; दृढ़-संकल्प के धनी; प्रतिभा-संपन्न और मनीषी पंडित गोपाल प्रसादजी का जीवन-चरित इस लघु पुस्तक के माध्यम से सदैव गतिशील रहने की प्रेरणा देता है।

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