Baniyon Ki Vilayat : बनियों की विलायत

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आजादी के पूर्व साधारण बोल-चाल की भाषा में विलायत ग्रेट ब्रिटेन को कहा जाता था, जहाँ सब सुख-सुविधा मौजूद है, जैसे कि वह स्वर्ग हो। यह उस स्थान की कहानी है जो उस कस्बे के निवासियों द्वारा बनियों की विलायत कही जाती है। इसी जगह एक संभावनाशील नया शहरी नौजवान अपनी प्रथम नौकरी का प्रारंभ करता है, एक अध्यापक के रूप में, यह जगह उसके मन-मस्तिष्क और भावना के सर्वथा विपरीत है, परन्तु वह यह सोच कर स्वीकार करता है कि यहाँ की कस्बाई जिंदगी में रहकर वह उच्च अध्ययन कर अपनी उच्चतम सरकारी नौकरी की मंजिल प्राप्त कर लेगा। परन्तु कस्बे में वैश्य वर्ग का प्रभुत्व होने के कारण हर सम्बन्ध सर्वदा धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक हानि-लाभ के गणित पर आधारित होते हैं और वहां स्थापित वैश्य वर्ग का ही हित साधन करते हैं। यहाँ तक कि प्रेम सम्बन्ध भी हानि-लाभ की तुला पर आधारित होते हैं। पूंजीवादी व्यवस्था यहाँ अपने घृणित रूप में मौजूद है और असमानता पूर्ण रूप से बिखरी पड़ी है। इस उपन्यास के पात्र मानवीय हैं, जो किसी भी मानवीय समाज के लिए उनकी उपस्थिति अपेक्षित ही मानी जाएगी। कहानी पूर्ण रूप में कथानायक प्रवेश, मेनका और उर्वशी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है।

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जन्म: १३ दिसम्बर, कानपुर. एम.एस.सी. (जंतु विज्ञान) हिंदी के साहित्यिक लेखक, मुख्यतः कहानीकार कभी-कभी कविताएं भी लिखते हैं। अक्सर कहानियां हंस, पाखी, कथादेश, कथाक्रम, कथाबिम्ब, कथासमय, बया, उद्भावना, परिकथा, निकट, इन्द्रप्रस्थ भारती, लमही, प्रगतिशील वसुधा, आजकल में प्रकाशित होती हैं और इन पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हो चुकी हैं, -ककसाद, प्रगतिशील वसुधा, लहक, हरिगंधा, मधुमती, नामांतर, परिंदे, सोच-विचार, विचारबिथी, दैनिकहरिभूमि, जनसत्ता, अभिनव इमरोज, प्रेमचंद पथ, गथांतर, प्रेरणा, किस्सा, करुनावती, रूपाम्बरा, साहित्य सरस्वती, सुपर आइडिया, उद्भावना, साहित्य भारती, पतहर, संभाव्य, सेतु, पुष्पगंधा, शीतलवाणी, मरुत्रण, सर्वसृजन, चौराहा, कद्साद तथा वागर्थ पत्रिका में कविताएं। उनकी कविताएं और कहानियां प्रतिलिपि.कॉम तथा स्टोरी मिरर.कॉम में पढ़ी जा सकती हैं।

दो कथा संग्रह- "अवशेष प्रणय (सन-2015) " तथा "पचास के पार (सन-2018)" प्रकाशित। सम्पर्क: एम-1285, सेक्टर-आई.एल.डी.ए. कॉलोनी, आशियाना, कानपुर रोड, लखनऊ-226012 ईमेल- raja.singh1312@gmail.com.

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