इस पुस्तक में 1857 के स्वाधीनता समर के पूर्व से लेकर 20वीं सदी के अमर बलिदानियों की कहानियाँ शामिल हैं। इन कहानियों को लिखते हुए मेरा उद्देश्य न केवल इन नायकों के योगदान को उजागर करना था, बल्कि हर पाठक को यह संदेश देना था कि भारत की स्वतंत्रता महज कुछ नामों तक सीमित नहीं है। यह हर क्षेत्र, हर धर्म और हर वर्ग के लोगों के सामूहिक प्रयास का प्रतिफल है।
इस लिहाज से 'भूले-बिसरे मतवाले' भारत के अलग-अलग राज्यों के उन मतवाले वीर- वीरांगनाओं का जयघोष है, जिनकी कहानियाँ हर भारतीय के दिल में न केवल गर्व और प्रेरणा का संचार करेंगी, बल्कि उनमें त्याग, समर्पण, परोपकार, नैतिकता और देशभक्ति के महान् आदर्शों को प्रसारित करेंगी।