Bhujia Ke Badshah: Bhujia ke Badshah: The Story of a Food Entrepreneur and His Rise to Success

· Prabhat Prakashan
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यह कहानी है साधारण से शहर बीकानेर के पारिवारिक व्यवसाय हल्दीराम की; जिसने स्वयं को एक अंतरराष्ट्रीय चहेते ब्रांड में बदल दिया। बीसवीं सदी की शुरुआत में; गंगा बिशन अग्रवाल उर्फ हल्दीराम नाम का युवक बीकानेर शहर में सबसे अच्छी भुजिया बनानेवाले के रूप में विख्यात हो गया। समय पंख लगाकर उड़ा और एक सदी के बाद हल्दीराम का साम्राज्य राजस्व के मामले में मैकडॉनल्ड्स और डोमिनोज के साझा राजस्व से भी बहुत आगे पहुँच गया।
‘भुजिया के बादशाह’ में पवित्रा कुमार अग्रवाल परिवार की बाँधकर रखनेवाली कहानी को उसकी समग्रता में सुनाती हैं। यह एक ऐसा असाधारण कार्य है; जिसे पहले किसी ने नहीं किया था। इसकी शुरुआत; धूल-धूसरित; उदारमना बीकानेर से होती है और यह इस स्वदेशी लेबल के उदीयमान होने और निरंतर उदित होने का वर्णन करती है; जो दुनिया भर में आज सबसे जाने-माने भारतीय ब्रांडों में से एक बन गया है।
हल्दीराम्स की यह कहानी किसी सामान्य कारोबार की कहानी नहीं है। इसमें भरपूर फैमिली ड्रामा है; कोर्ट के मुकदमे हैं; ईर्ष्या की अग्नि में जलकर किया गया क्षेत्रीय विस्तार है; एक दशक से भी अधिक समय से चली आ रही ट्रेडमार्क की लड़ाई है; और घर-घर में प्रसिद्ध व लोकप्रिय भुजिया बनाने का वह रहस्य है जिसे एक परिवार ने सीने से लगाकर रखा है। तेज रफ्तार और बाँधकर रखनेवाली यह पुस्तक; परिवार के कारोबार के विभिन्न आयामों तथा कारोबार करने के भारतीय तौर-तरीकों पर सुस्वादु और मधुर नजर डालती है।

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Autoren-Profil

पवित्रा कुमार का जन्म महाराष्ट्र के देवलाली में, 1985 में हुआ था। सेना के अधिकारी की पुत्री होने के कारण, उन्हें छोटी उम्र से ही भारत के विभिन्न हिस्सों में यात्रा का अवसर मिला तथा उनके अंदर लोगों और स्थानों के विषय में एक गहरी समझ पैदा हुई। उन्होंने 2003 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में अंडरग्रेजुएट डिग्री प्राप्त की। उससे पहले कुछ समय तक उन्होंने दिल्ली में सी.एन.एन.-आई.बी.एन. के साथ काम भी किया। इस दौरान, उनका अधिकांश समय प्रेस के साथ संबंधों को बनाए रखने तथा अपनी कंपनी से परिचय करानेवाले व्यावसायिक लेखों को लिखते हुए बीता। उन्होंने मई 2016 में कार्लसन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से एम.बी.ए. की पढ़ाई पूरी की, और आज भी कारोबार के प्रति अपनी अभिरुचि और लेखन के प्रति अपने प्रेम को आगे बढ़ा रही हैं। पवित्रा, मिनेसोटा के लेकविले में अपने पति, डॉ. आदित्य रघुनाथन तथा प्यारी सी लिली के साथ रहती हैं। वह जब लेखन में व्यस्त नहीं रहतीं तब ट्रेकिंग, तैराकी और पढ़ने के साथ-साथ कॉफी पीने का शौक उन्हें सक्रिय बनाए रखता है।

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