इन रचनाओं में कहीं जीवन के सजीव संस्मरण हैं, तो कहीं निर्जीव जीवनियाँ दुख और उम्मीदों से भरी ये रचनाएं यथार्थ से तो जोड़ती ही है, साथ-साथ एक हल्की सी नमी आंखों को दे जाती हैं, जो व्यक्ति के संवेदनशील होने का प्रमाण है।
देव नागर - पिछले ३० वर्षों से प्रतिष्ठित C.B.S.E. विद्यालयों में अंग्रेज़ी विषय पढ़ाने के साथ साथ अनेक महत्वपूर्ण पदों का निर्वहन करते हुए शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं।
उनका जन्म लखनऊ में सेना की पृष्ठभूमि वाले एक परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा एक प्रतिष्ठित सीनियर केम्ब्रिज स्कूल से हुई, तत्पश्चात बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और मेरठ विश्वविद्यालय से। उनका बचपन बहुत ही अनुशासित था और उन्हें विभिन्न अनुभवों और रुचियों का अधिग्रहण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमें यात्रा, ट्रेकिंग, कैम्पिंग, प्रकृति फोटोग्राफी, संगीत आदि अब भी उनके व्यस्त जीवन के अभिन्न अंग है।
वे स्वयं एक उत्साही पाठक है तथा वर्तमान में एक स्कूल में निर्देशक प्राचार्य हैं और अपने परिवार, दोस्तों, छात्रों व अपने लेखन में समय बिताते हुए अपने को व्यस्त रखते हैं।