यह पुस्तक हिंदी में प्रस्तुत कुछ कविताओं का संग्रह है | जीवन के एक अनूठे ‘आत्म-बोध’ अनुभव से गुजरते समय, विभिन्न पहलुओं पर, दिल से उठे भावों को शब्दों में अभिव्यक्त करने की कोशिश है | जहाँ एक ओर 'माताश्री ' और 'पिताश्री' जैसी कविताओं के द्वारा अतीत की सुखद यादों का जिक्र है, वहीं दूसरी ओर 'पैसा और प्रेंम' और 'सच क्या है' जैसी कविताओं में जीवन से उठते सवालों में जूझते हुए विचारों का विस्तृत विवरण है | जहाँ 'रौशनी भरी उल्फत की रात' में 'आत्म-बोध' के अनूठे अनुभव से उपजते भावों का जिक्र है, वहीं 'वो दो रुपये का नोट' में एक असीमित संसार का भाव रसित उल्लेख है|
दिव्यज्योति बड़गैयाँ का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ था| सैनिक स्कूल रीवा से स्कूल करने के पश्चात, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की | विगत वर्षों में, वह आई. टी. इंडस्ट्री में ‘विप्रो टेक्नॉलजीस’, एक्सेंचर, ‘आई बी एम’, ‘सी एस सी’, ‘डी क्स सी टेक्नोलॉजी’ जैसी विश्व की कई बड़ी कंपनियों में कार्यरत रह चुके हैं | इन दिनों, वह यूनाइटेड किंगडम के बरमिंघम शहर में अपने परिवार के साथ रहते हैं |