Nai Kavita Darshan Aur Mulya | नयी कविता दर्शन और मूल्य - By Parimal Prakashan: Nai kavita

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नयी कविता स्वतंत्र भारत का पहला काव्यांदोलन है इसीलिए स्वाभाविक है कि इस पर कहीं न कहीं तद्युगीन भारतीय परिदृश्य का प्रभाव हो। इस परिदृश्य में अब यथार्थ की टकराहट आजादी पूर्व के आदर्शों से होती है तो कहीं न कहीं आम जनता में ठगे जाने का बोध जन्म लेता है। मूल्य, दर्शन, सिद्धांत, आस्था, आदर्श, नैतिकता पर से धीरे-धीरे लोगों का विश्वास उठने लगता है। यही वह पृष्ठभूमि है जिसमें पश्चिमी अस्तित्ववादी बितन दर्शन का प्रभाव दवे पाँव हिन्दी साहित्य में प्रवेश कर जाता है और इससे जुड़े हुए 'मूल्यबांध जिसे 'आधुनिक भाव बोध के रूप में जाना जाता है, को अभिव्यक्ति मिलने लगती है। स्पष्ट है कि नई कविता परंपरागत कविता से भिन्न है। अंतर्वस्तु के धरातल पर यदि आधुनिक भावबोध और इसके मूल्य के साथ-साथ अनुभूति की अभिव्यक्ति का प्रबल आग्रह इसे परंपरागत कविता से भिन्न पहचान प्रदान करता है तो भाषा और शिल्प के घरातल पर प्रयोगशीलता इसे भिन्न और विशिष्ट पहचान प्रदान करती है। इसने तत्कालीन साहित्यिक परिदृश्य को पलट डाला जिसके कारण साहित्य के स्वरूप में बुनियादी बदलाव परिलक्षित हुए। नयी कविता का नया कवि जिस विशेष मानसिकता के साथ उपस्थित होता है, उसमें न तो छायावादी भावुकता के लिए स्थान है, न ही प्रगतिवादी यांत्रिक सोच के लिए और न प्रयोगवाद की नकारात्मक विद्रोही मानसिकता के लिए।

नयी कविता में किस प्रकृति की प्रधानता है यह कहना बड़ा ही कठिन है, क्योंकि यह किसी विशेष प्रवृत्ति से बंधकर रही ही नहीं। नई कविता का संबंध मूलतः उस चेतना से है जो व्यक्ति को उसके जीवन संघर्षों में जीवन के विकास पथ का अन्वेषण करते समय सच्चे पथ निर्माण की दृष्टि देती है। स्वातंत्र्योत्तर युग-परिवेश में व्यक्ति स्वातंत्र्य की जो नयी चेतना फूटी है। समूह की उपेक्षा से व्यापक मानवता का जो द्वार उ‌द्घाटित हुआ है, उसके नूतन मानवी संबंध, सहयोग, न्याय और समानता की चेतना बलवती हुई है। किस परिवेश में स्वातंत्र्योत्तर जीवन पनपा है, जीवन की अनुभूतियाँ जगीं हैं? इस पक्ष की ओर जब दृष्टि जाती है तो मानव ही हमें सृष्टि के एक परम सत्य के रूप में दिखाई देता है। 'नया कवि' सत्यान्वेषी वास्तविकता पर आस्थावान और निर्भर है। वह जीवन के जगत के नये तथ्यों पर खोज करता है। मानव इस सृष्टि का एक मात्र भोक्ता है। अतः उस मानव से बढ़कर सत्य दूसरा हो ही क्या सकता है। इसी विशुद्ध मानव की मानसिक जटिलता एवं बाह्य उलझाव को सामान्य मानव जीवन का सत्य मानकर ध्वनित करना ही नयी कविता की साधना है।

i) यह विवाद का विषय रहा है कि नयी कविता नाम से जानी जानेवाली कविता किन अर्थों में नयी है और इस काल की कविता को ही नयी कविता कहना कहाँ तक उचित है?

ii) नयी कविता पर विचार करते हुए जहाँ एक ओर इस बात को ध्यान में रखना होगा कि उसका संबंध तत्कालीन यथार्थ से है वहीं उसमें अंतर्निहित विभिन्न दृष्टियों, काव्याभिरूचियों एवं कवि की वैयक्तिक क्षमताओं को भी ध्यान में रखना होगा।

Ratings and reviews

4.9
16 reviews
Manoj Barnwal
April 26, 2024
नयी कविता: दर्शन और मूल्य पुस्तक में लेखिका ने नयी कविता के माध्यम से साहित्य मैं दर्शन और मानवीय मूल्य की बहुत ही महत्वपूर्ण बिन्दुओं को रखा है ।
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mangal prakash Sahay
April 25, 2024
विद्वान लेखिका ने काफी मेहनत कर बहुत ही प्रशंसनीय कार्य किया है।इनके शोध कार्य एक प्रतिमान का निर्माण करते हुए प्रतीत हो रहे है। इस पुस्तक को पढ़ते हुए मूल्यों के मानसी संदर्भ में पुनः अपने जीवन से मानस साक्षात्कार करने का मौका मिला। नई रचना के प्रतीक्षा के साथ लेखिका के आगामी उज्जवल जीवन हेतु मंगलमय कामना।
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Kumar Raj
April 25, 2024
इस पुस्तक..... नई कविता : दर्शन और मूल्य का समायोजन आने वाले शोधार्थी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण सबित होगी।
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About the author

प्रकाशकीय

कविता साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा रही है। यह विघा जितनी महत्वपूर्ण रही है इसका विकास भी उतना ही उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इस विधा में सबसे अधिक आलोड़न स्वतंत्र्योत्तर काल में देखने को मिलता है। विशेषकर 1950 के बाद कविता विभिन्न आंदोलनों का शिकार हुई। इसका परिणाम यह हुआ कि उसमें दर्शन और मूल्यों का स्खलन परिलक्षित हुआ। इस स्खलन से उत्पन्न हुए गड्‌ढों को समय विशेष पर भिन्न वैचारिक दृष्टियों से भरने का प्रयास भी होता रहा। प्रस्तुत पुस्तक डॉ. भवानी कुमारी द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पुस्तक के शीर्षक में आए 'दर्शन' और 'मूल्य' शब्दों का महत्व जितना समय, समाज और व्यक्ति विशेष के लिए है उतना ही महत्व साहित्य के लिए भी है। शायद यही कारण है कि साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता रहा है।

'नयी कविता : दर्शन और मूल्य' काव्य के क्षेत्र में 'दर्शन' और 'मूल्य' की महत्ता को लेकर किए गए गंभीर अध्ययन का परिणाम है। डॉ. भवानी कुमारी ने जीवन के उतार-चढ़ाव से निरंतर संघर्ष करते हुए कविता के इन उतार-चढ़ावों को जिस गंभीरता से अध्ययन का विषय बनाया है वह अपने आप में शोध के नए आयामों को रेखांकित करता है। 'परिमल प्रकाशन' इस शोधपूर्ण कार्य को प्रकाशित करते हुए अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा है। प्रकाशन एक कठिन कार्य है पर कठिन कार्य ही भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यह विदित है कि वर्तमान समय में लेखक और प्रकाशक के सह संबंधों को लेकर कई तरह की बातें सुनने को मिलती हैं। एक कॉरपोरट मानसिकता ने जहाँ लेखक, पाठक और प्रकाशक के बीच की खाई को बढ़ाने में कोई कसर नहीं उठा रखी है ऐसे विपरीत समय में परिमल पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यपथ पर अग्रसर रहते हुए 'नयी कविता : दर्शन और मूल्य' पुस्तक सुधि पाठकों को सादर समर्पित करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

(अंकुर शर्मा 'सहाय')

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