जिस भूमि पर एक विशिष्ट जाति व परंपरा के अनुगामी, एक विचारधारा वाले तथा समान इतिहास वाले व्यक्ति एकत्र रहते हैं, उसी भूमि को राष्ट्र कहते हैं तथा वह राष्ट्र भी उनके निवासियों के नाम से पहचाना जाता है। ऐसे स्वजातीय लोगों के हित संबंध एक जैसे होते हैं। और उनमें एक प्रकार से एकत्व की भावना विद्यमान रहती है और यही भावना उनकी प्रगति का कारण बन जाती है। भिन्न-भिन्न देशों के, भिन्न–भिन्न संस्कृति को मानने वाले, भिन्न-भिन्न विचारधारा वाले, भिन्न–भिन्न रीति-रिवाज वाले तथा परस्पर शत्रुता रखने वाले लोग राष्ट्र की सृष्टि नहीं कर सकते और ऐसे लोगों के समूह को राष्ट्र नहीं कहा जाता सकता है।
Életrajzi művek és emlékiratok