One Hundred Seventeen Stories of Sardar Patel's Life: सरदार पटेल के जीवन की एक सौ सत्रह कहानियाँ

Shubhda Prakashan
5.0
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Ebook
285
Pages

About this ebook

सरदार पटेल भारत की आजादी की लड़ाई के प्रमुख सेनापति थे। उन्होंने विस्मयकारी चमत्कार करते हुए भारत के ब्रिटिश शासित क्षेत्रों एवं 550 देशी रियासतों का भारत में सम्मिलन किया तथा आजादी के बाद इन रियासतों का एकीककरण करके प्रांतों का निर्माण किया। वे भारत राष्ट्र के ठीक वैसे ही निर्माता थे जिस प्रकार आचार्य चाणक्य। पटेल ने वह कर दिखाया जो जर्मनी में बिस्मार्क ने तथा इटली में काबूर ने किया था।

ऐसी महान उपलब्धियां उनके करिश्माई व्यक्तित्व के कारण हासिल की जा सकीं। वे कठोर तपस्वी, अद्भुद कर्त्तव्यनिष्ठ तथा उदारमना दानी थे। वे अपनी समस्त चीजें दूसरों को दे देते थे। उन्होंने अपना घर तथा जमी-जमाई वकालात छोटे भाइयों को दे दिए। बैरिस्टर बनने के लिए लंदन जाने का टिकट बड़े भाई को दे दिया और प्रधानमंत्री की कुर्सी जवाहरलाल नेहरू को दे दी।

पढ़िए इस महान् युग पुरुष की अब तक की ज्ञात एवं अज्ञात अद्भुत गाथाएं, आज की युवा पीढ़ी के चहेते लेखक एवं सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. मोहनलाल गुप्ता की कलम से। राजस्थानी ग्रंथागार जोधपुर ने इसे हार्ड बाउण्ड में प्रकाशित किया है।

Ratings and reviews

5.0
6 reviews
shyam singh Deora
April 13, 2015
सरदार वल्लभ भाई पटेल पर लिखी गई यह पुस्तक हर किसी के प्ढ़ने के लायक है। मुझे अब से पहले यह तो पता था कि पटेल महान नेता थे किंतु उनके महान कामों की जानकारी मुझे इस पुस्तक से हुई।
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Madhubala Gupta
April 25, 2015
यह पुस्तक सरदार पटेल के जीवन चरित्र के अनछुए पहलुओं को भी उजागर करती है। यह एक शानदार पुस्तक है।
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About the author

डॉ. मोहनलाल गुप्ता आधुनिक युग के बहुचर्चित एवं प्रशंसित लेखकों में अलग पहचान रखते हैं। उनकी लेखनी से अब तक पांच दर्जन से अधिक पुस्तकें निृःसृत हुई हैं जिनमें से अधिकांश पुस्तकों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हुए हैं।

डॉ. गुप्ता हिन्दी साहित्य के जाने-माने व्यंग्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार एवं नाट्यलेखक हैं। यही कारण है कि उनकी सैंकड़ों रचनाएं मराठी, तेलुगु आदि भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित हुईं।

इतिहास के क्षेत्र में उनका योगदान उन्हें वर्तमान युग के इतिहासकारों में विशिष्ट स्थान देता है। वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्होंने राजस्थान के समस्त जिलों के राजनैतिक इतिहास के साथ-साथ सांस्कृतिक इतिहास को सात खण्डों में लिखा तथा उसे विस्मृत होने से बचाया। इस कार्य को विपुल प्रसिद्धि मिली। इस कारण इन ग्रंथों के अब तक कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथा लगातार पुनर्मुद्रित हो रहे हैं।

डॉ. मोहनलाल गुप्ता ने भारत के विशद् इतिहास का तीन खण्डों में पुनर्लेखन किया तथा वे गहन गंभीर तथ्य जो विभिन्न कारणों से इतिहासकारों द्वारा जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत किए जाते रहे थे, उन्हें पूरी सच्चाई के साथ लेखनीबद्ध किया एवं भारतीय इतिहास को उसके समग्र रूप में प्रस्तुत किया। भारत के विश्वविद्यालयों में डॉ. गुप्ता के इतिहास ग्रंथ विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। इन ग्रंथों का भी पुनमुर्द्रण लगातार जारी है।

राष्ट्रीय ऐतिहासिक चरित्रों यथा- अब्दुर्रहीम खानखाना, क्रांतिकारी केसरीसिंह बारहठ, महाराणा प्रताप, महाराजा सूरजमल,सवाई जयसिंह,भैंरोंसिंह शेखावत, सरदार पटेल तथा राव जोधा आदि पर डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा लिखी गई पुस्तकों ने भारत की युवा पीढ़ी को प्रेरणादायी इतिहास नायकों को जानने का अवसर दिया।

प्रखर राष्ट्रवादी चिंतन, मखमली शब्दावली और चुटीली भाषा, डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा रचित साहित्य एवं इतिहास को गरिमापूर्ण बनाती है। यही कारण है कि उन्हें महाराणा मेवाड़ फाउण्डेशन से लेकर मारवाड़ी साहित्य सम्मेलन मुम्बई, जवाहर कला केन्द्र जयपुर तथा अनेकानेक संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय महत्व के पुरस्कार दिए गए।

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