रामकथा भारतवर्ष की सांस्कृतिक एकता का प्रबल सूत्र रही है। जहाँ भारत की प्राचीन भाषाओं (पालि; प्राकृत; अपभ्रंश आदि) में विस्तृत राम-साहित्य अनेक विधाओं में लिखा गया; वहीं यह दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के लगभग सभी देशों; जैसे जावा; बाली; मलय; हिंद चीन; स्याम; चीन आदि में भी उपलब्ध होता है। चीन का ‘दशरथ कथानम्’; इंडोनेशिया का ‘रामायण काकावीन’; जावा का ‘सेरतराम’ और स्याम का ‘रामकियेन’ आदि इसके कतिपय उदाहरण हैं।
रामकथा मानव जीवन को समुन्नत बनाने वाले नैतिक मूल्यों का अक्षय भंडार है। संभवतः विश्व वाङ्मय में वाल्मीकि-रामायण वह प्रथम ग्रंथ है; जिसमें नैतिक मूल्यों का काव्यात्मक; व्यावहारिक और मूर्तिमान् रूप दिखाई देता है। मनुष्य के अभ्युदय और निःश्रेयस के लिए ये मूल्य इतने उपयोगी और महत्त्वपूर्ण हैं कि वाल्मीकीय रामायण के बाद रामकथा की एक लंबी परंपरा बन गई; जिसमें इन नैतिक मूल्यों को जीवन में आचरित और अवतरित होते हुए दिखाया गया। रामचरितमानस में तो इनको दैवी गरिमा दी गई।
इस पुस्तक में रामकथा के मूल ग्रंथ वाल्मीकि-रामायण और शिखर ग्रंथ रामचरितमानस में सन्निहित नैतिक मूल्यों का तुलनात्मक अध्ययन करके मानव जीवन में उनकी उपयोगिता का आकलन किया गया है। नैतिक मूल्यों के संरक्षण-संवर्धन हेतु एक विशिष्ट पुस्तक।
Religion & spirituality
Ratings and reviews
3.7
3 reviews
5
4
3
2
1
Budhlal Hasda
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March 6, 2022
Really nice book I liked. Good morning thanks.
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