Ek Lekhak Ki Atmakatha: Ek Lekhak Ki Atmakatha: A Writer's Journey of Self-Discovery”

· Prabhat Prakashan
3.0
1 件のレビュー
電子書籍
248
ページ

この電子書籍について

‘‘देर हो गई सर; पर बात यह थी कि मेरे एक दोस्त ने किसी का खून कर दिया था और पुलिस उसके पीछे थी। माँ से छिपाकर बड़ी मुश्किल से मैंने उसे पनाह दी; इसलिए देर हो गई।’’ इतनी बात कहकर वह चला गया और मैं सन्न रह गया। दोपहर बाद मैंने उसे बुलाकर बिलकुल शांति से कहा; ‘‘राकेश!’’
‘‘जी!’’
‘‘जानते हो मैंने तुम्हें क्यों बुलाया है?’’
‘‘जी नहीं!’’
‘‘मेरी बात को शांति से सुनो; इसी में तुम्हारी भलाई है।’’
‘‘जी!’’
‘‘तुम एक अच्छे घर के लड़के हो। घर में माँ-बाप और घरवाली है और एक बच्चा भी।’’
‘‘हूँ।’’
‘‘इन सबके प्रति तुम्हारा कुछ कर्तव्य है; जो तुम नहीं कर रहे हो। तुम सिगरेट पीते हो और सुना है कि शराब भी पीते हो और जुआ खेलते हो। आज पता चला कि तुम खूनियों को पनाह भी देते हो।’’
—इसी पुस्तक से

評価とレビュー

3.0
1 件のレビュー

著者について

एक महाराष्‍ट्रीय परिवार में 1923 में जनमे डॉ. केलकर हिंदीभाषी और हिंदी प्रदेश निवासी हैं। उनके लेखन में सहज रूप से चिंतन की व्यंजना के साथ-साथ सहानुभूति और भावुकता का संयोग मिलता है। प्रशासक होने के कारण उनकी रचनाओं में एक तटस्थता का भाव भी है। नागपुर विश्‍वविद्यालय से हिंदी में एम.ए. करने के बाद डॉ. केलकर ने पंजाब विश्‍वविद्यालय से पी-एच.डी. किया। उनका बहुचर्चित शोध-प्रबंध ‘मराठी और हिंदी का कृष्ण-काव्य’ प्रकाशित हुआ। ‘कुत्ते की दुम’ (व्यंग्य) तथा ‘तुम्हारे साथ’ (कविता-संग्रह) के अतिरिक्‍त उनके पाँच उपन्यास—‘त्रिमूर्ति’, ‘त्रिपुर सुंदरी’, ‘त्रिनयना’, ‘त्रिरूपा’ और ‘त्रिपथा’ प्रकाशित। ‘त्रिमूर्ति’ मराठी तथा बांग्ला में भी अनूदित। अंग्रेजी में उनके दो ग्रंथ ‘द लाइफ ऑफ ए योगी’ और ‘ए बंच ऑफ रिमिनिसेन्सेज’ प्रकाशित। मराठी से हिंदी में अनेक अनुवाद, जिनमें स्व. मामा वरेरकर के नाटकों का अनुवाद विशेष उल्लेखनीय है। देश की अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं से संबद्ध, साहित्य अकादेमी तथा भारतीय ज्ञानपीठ के सचिव रहे। अध्यात्म, शास्त्र और योग विद्या में गहन रुचि। उनका जीवन प्राय: यायावर रहा है। अपने कार्यकाल में वे नेपाल, ग्रीस, बल्गेरिया, चैक गणराज्य, यूगोस्लाविया, बेल्जियम, जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड, सूरीनाम, वेस्टइंडीज, बारबड़ोस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका, जापान, कोरिया आदि अनेक देशों की यात्रा। ‘इंटरनेशनल कल्चरल सोसाइटी ऑफ कोरिया’ के मनोनीत आजीवन सदस्य। संप्रति रामकुंज आश्रम में रहकर अपने गुरु महाराज श्री स्वामी राम की शिक्षाओं का अनुशीलन करने में रत।

この電子書籍を評価する

ご感想をお聞かせください。

読書情報

スマートフォンとタブレット
AndroidiPad / iPhone 用の Google Play ブックス アプリをインストールしてください。このアプリがアカウントと自動的に同期するため、どこでもオンラインやオフラインで読むことができます。
ノートパソコンとデスクトップ パソコン
Google Play で購入したオーディブックは、パソコンのウェブブラウザで再生できます。
電子書籍リーダーなどのデバイス
Kobo 電子書籍リーダーなどの E Ink デバイスで読むには、ファイルをダウンロードしてデバイスに転送する必要があります。サポートされている電子書籍リーダーにファイルを転送する方法について詳しくは、ヘルプセンターをご覧ください。