मेरा जन्म अविभाजित बिहार के बरकाना में हुआ, पिताजी की नौकरी के साथ विभिन्न शहरों में रहने का मौका मिला, प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा केंद्रीय विद्यालय सिंगरौली ( म.प्र.) से हुई और कला संकाय से स्नातक रीवा यूनिवर्सिटी से किया। 2019 से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूँ और मेरी एक कहानी संग्रह "कुछ रंग जिंदगी के" प्रकाशित हो चुकी है।
गृहिणी होकर लेखन से जुड़ने का सुखद अनुभव मेरे साथ है, पाठकों की निरंतर प्रतिक्रिया और प्रोत्साहन ने मुझे समृद्ध किया है। साहित्य तो मुक्ताकाश है, विस्तृत भी और रोमांचित करनेवाला भी। लेखन सिर्फ मेरी स्वभाविक प्रतिक्रिया न होकर एक न छूट जानेवाला साथ बन गया है। रोजमर्रा और आम जनजीवन को समेटने का प्रयास करती हूँ, संस्कृतनिष्ठ तत्सम शब्दों से दूर पाठकों की ही भाषा में उनसे जुड़ती हूँ। सही मायने में स्वान्तः सुखाय लिखती हूँ।