Ek Pahal - Saphalta ki oar

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मुख्यतह, युवावस्था में आमतौर पर हर एक विध्यार्थी ज़िन्दगी में तमाम तरह की परेशानियों से गुजरता है। उनमें से कुछ उन पर पार पाकर आगे बढ़ जाते हैं , लेकिन अधिकांश अपनी जिंदगी खराब कर लेते हैं। इसी संबन्ध में लेखक ने स्वयं के अनुभवों को लिखा है। उसने जिंदगी में आने वाले समस्त उतार चढ़ावों को समाहित करने की भरपूर कोशिश की है। उसने उन तरीकों को भी लिखा है, जिसके माध्य्म से उन बाधाओं पर जीत हासिल की जा सकती है, जो जिंदगी को गलत दिशा में ले जाने की कोशिश करती हैं। उसने एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले विध्यार्थी के जीवन की आर्थिक, सामाजिक,मानसिक इत्यादि स्थितियों का भी अद्भुत वर्णन किया है और साथ ही व्यवहारिक जीवन के महत्व को भी समझाने का भरसक प्रयास किया है। लेखक ने सभी तथ्यों को वास्तविक घटनाओं के साथ समझाने की कोशिश की है। वह भी उन्हीं के बीच का है जिनके लिये उसने लिखा है. लेकिन फिर भी उसने लिखा है क्योंकि वह पौराणिक रिवाज को खत्म करना चाहता है। वह गरीब लेकिन प्रतिभावान विध्यार्थियो की सहायता करना चाहता है, जो महज कुछ गलतियों एवम्‌ व्यवहारिक ज्ञान की कमी की वजह से, उस पद पर नहीं पहुँच पाते हैं, जिसके वे वास्तव मे हकदार थे।
“हमारी युवापीढी एवं उनके माता –पिता को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिये”     

 

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Autoren-Profil

Nitin Pratap Singh

 

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