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· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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This book shades light on one of the less thought of communities from Indian culture: ‘Kudmude Joshi’. They hardly have any identity of their own. This book describes their day-to-day life and the conditions they are suffering. It truly describes their hardships, sorrows, problems, the beast-like life that the women folk have to lead, rituals, customs, superstitiousness, illiteracy and so on. 

मानव समाजातीलच एक घटक, ज्याला स्वत:चे असे अस्तित्व नाही अशा घटकाचे- `कुडमोडे जोशी' या जातीचे- जीवन विस्तारित स्वरूपात येथे आले आहे. या पुस्तकातील प्रत्येक पात्र आज या सत्य परिस्थितीला तोंड देत आहे. भटक्या जमातीची दु:खे, त्यांच्या व्यथा, वेदना, स्त्रियांचे पशुतुल्य जीवन, त्यांच्या रूढी, परंपरा, चालीरीती, अंधश्रद्धा, अशिक्षितपणा याविषयीचा सत्य वृत्तान्त यात सादर केला गेला आहे. 

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