Godaan in Hindi गोदान हिंदी में।: प्रेमचंद्र की छोटी छोटी कहानियो का संघ्रह।

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Godaan in Hindi गोदान हिंदी में।

यह एक गरीब किसान होरी की कहानी है, जो एक गाय के मालिक होने की लालसा रखता है। होरी इतना हताश है कि वह गांव के एक व्यक्ति के साथ समझौता कर लेता है जो उसे बदले में एक गाय देता है। होरी जितना प्रसन्न होता है, वह युग, उसका भाई, ईर्ष्या करता है। क्या होता है जब वह युग गाय को मारता है? आधुनिक भारतीय साहित्य के महानतम हिंदी उपन्यासों में से एक, गॉड ए प्रेमचंद का अंतिम पूर्ण उपन्यास था। यह आधुनिक भारतीय साहित्य के सबसे महान हिंदी उपन्यासों में से एक बना हुआ है।

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धनपत राय श्रीवास्तव का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी, भारत के पास लम्ही गाँव में हुआ था, मुंशी प्रेमचंद ने 1901 में अपना लेखन करियर शुरू किया था। उनका पहला लघु उपन्यास, असरार ए माबिद (भगवान के निवास का रहस्य), उर्दू में लिखा गया था, एक साप्ताहिक में प्रकाशित हुआ था 8 अक्टूबर 1903 से फरवरी 1905 के बीच। उन्होंने वेश्यावृत्ति, गरीबी, दहेज, बाल विधवापन और सामंती व्यवस्था सहित विभिन्न विषयों पर लिखा, अपने कार्यों का उपयोग जन जागरूकता के लिए एक वाहन के रूप में किया। वह पहले हिंदी लेखक थे जिनकी रचनाओं में सामाजिक यथार्थवाद था। प्रेमचंद ने सैकड़ों लघु कथाएँ, एक दर्जन से अधिक उपन्यास, नाटक और कई आलोचनात्मक निबंध लिखे हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में वरदान (1912), सेवा सदन (1918), प्रेमाश्रम (1922), रंगभूमि (1925), निर्मला (1927), प्रतिज्ञा (1927), गबन (1931), कर्मभूमि (1932), गोदान (1936) शामिल हैं।

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प्रेमचन्द हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार हैं और उनकी अनेक रचनाओं की गणना कालजयी साहित्य के अन्तर्गत की जाती है। ‘गोदान’ तो उनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है ही, ‘गबन’, ‘निर्मला’, ‘रंगभूमि’, ‘सेवा सदन’ तथा अनेकों कहानियाँ हिन्दी साहित्य का अमर अंग बन गई हैं। इनके अनुवाद भी भारत की सभी प्रमुख तथा अनेक विदेशी भाषाओं में हुए हैं। इन रचनाओं में उन्होंने जो समस्याएँ उठाईं तथा स्त्री-पुरूषों के चरित्र खींचे, वे आज भी उसी प्रकार सार्थक हैं जैसे वे अपने समय थे और भविष्य में बने रहेंगे। भारतीय समाज के सभी वर्गों का चित्रण बहुत मार्मिक है विशेषकर ग्रामीण किसानों का, जिनके साथ वे एक प्रकार से आत्मसात ही हो गये थे। ‘गोदान’ प्रेमचन्द का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपन्यास है। इसमें ग्रामीण समाज के अतिरिक्त नगरों के समाज और उनकी समस्याओं का उन्होंने बहुत मार्मिक चित्रण किया है

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