Gram Swarajya: Gram Swarajya: Building Self-Sufficient Villages”

· Prabhat Prakashan
3,7
9 avaliações
E-book
224
Páginas

Sobre este e-book

यह सोचना गलत है कि गांधीजी आज के उद्योगीकरण के बारे में बहुत पुराने विचार रखते थे। सच पूछा जाए तो वे उद्योगों के यंत्रीकरण के विरुद्ध नहीं थे। गाँवों के लाखों कारीगरों को काम दे सकनेवाले छोटे यंत्रों में जो भी सुधार किया जाए, उसका वे स्वागत करते थे। गांधीजी बड़े-बड़े कारखानों में विपुल मात्रा में माल पैदा करने के बजाय देश के विशाल जन-समुदायों द्वारा अपने घरों और झोंपड़ों में माल का उत्पादन करने की हिमायत करते थे। वे भारत के प्रत्येक सबल व्यक्‍ति को पूरा काम देने के बारे में बहुत अधिक चिंतित रहते थे और मानते थे कि यह ध्येय तभी सिद्ध होगा जब गाँवों में सुचारु रूप से ग्रामोद्योगों तथा कुटीर उद्योगों का संगठन और संचालन किया जाएगा। महात्मा गांधी ग्राम-पंचायतों के संगठन द्वारा आर्थिक और राजनीतिक सत्ता के विकेंद्रीकरण का जोरदार समर्थन करते थे। दुर्भाग्य से आर्थिक जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक पहलू की हमेशा उपेक्षा की गई है, जिसके फलस्वरूप सच्चे मानव-कल्याण को बड़ी हानि पहुँची है। आधुनिक अर्थशास्‍‍त्री अब इस महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर देने लगे हैं कि यदि हमें विशाल पैमाने पर तीव्र गति से आर्थिक विकास साधना है तो ‘वस्तुओं की गुणवत्ता’ बढ़ाने के साथ ‘मनुष्यता की गुणवत्ता’ भी बढ़ानी चाहिए। अतः वर्तमान परिस्थिति में गांधीजी के ‘ग्राम स्वराज्य’ की अवधारणा के पठन-पाठन की महती आवश्यकता है।.

Classificações e resenhas

3,7
9 avaliações

Sobre o autor

Avaliar este e-book

Diga o que você achou

Informações de leitura

Smartphones e tablets
Instale o app Google Play Livros para Android e iPad/iPhone. Ele sincroniza automaticamente com sua conta e permite ler on-line ou off-line, o que você preferir.
Laptops e computadores
Você pode ouvir audiolivros comprados no Google Play usando o navegador da Web do seu computador.
eReaders e outros dispositivos
Para ler em dispositivos de e-ink como os e-readers Kobo, é necessário fazer o download e transferir um arquivo para o aparelho. Siga as instruções detalhadas da Central de Ajuda se quiser transferir arquivos para os e-readers compatíveis.