Gupt Bharat ki Khoj

· Manjul Publishing
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 मैं योगियों की खोज मैं पूर्वी दिशा की यात्रा करते हुए भारत की पवित्र नदियों के तटों पर गया. मैंने पूरे देश का भ्रमण किया, और फिर मैं भारत के ह्रदय तक पहुँचा... 
पॉल ब्रन्टन पूर्वी जगत की आध्यात्मिक परम्पराओं की खोज में निकले बीसवीं शताब्दी के सबसे अहन खोजियों में से एक थे. वे एक पत्रकार भी थे और अपनी समीक्षात्मक निष्पक्षता एवं व्यावहारिक ज्ञान के लिए जाने जाते थे. इन गुणों के साथ ही उनकी उत्कृष्ट जीवनशैली ने उन्हें पूर्वी जगत की आध्यात्मिकता पर लिखने वाला एक श्रेष्ठ लेखक बना दिया. गुप्त भारत की खोज आध्यात्मिक यात्रा-वृत्तांत की एक महान कालजयी रचना है. पॉल ब्रन्टन ने विवरण प्रस्तुत करने की अपनी अद्भुत क्षमता और अपने उदार दृष्टिकोण के संयोग से भारत की यात्रा का अनूठा वर्णन किया है. वे योगियों, सन्यासियों और गुरुओं के बीच रहकर एक ऐसे व्यक्ति की खोज करते रहे हैं, जो उन्हें आत्म-ज्ञान से मिलने वाली शांति प्रदान कर सके. उनकी यह जीवंत खोज, तमिलनाडु में स्थित अरुणाचल पर्वत पर श्री रमण महर्षि के पास समाप्त होती है: 'नीले आकाश में असंख्य तारे टिमटिमा रहे हैं. उदय होता हुआ चन्द्रमा, चंडी की पतली चक्रनुमा लकीर कैसा दिख रहा है. शाम के समय उड़ने वाले जुगनुओं ने उद्यान को प्रकाशित कर दिया है, और उनके ऊपर खजूर के ऊँचे वृक्षों की लहराती डालियाँ आकाश के काले छाया-चित्र पर झूमती दिखाई पड़ रही हैं. मेरा आत्म-रूपांतरण पूर्ण हो गया है...

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 1898 में जन्मे पॉल ब्रन्टन ने व्यापक ढंग से पूर्वी देशों में भ्रमण किया और 1935 से 1952 के बीच उनकी लिखी तरह पुस्तकें प्रकाशित हुईं| उन्हें योग एवं ध्यान का पश्चिमी जगत से परिचय करवाने तथा वहाँ की दार्शनिक पृष्टभूमि को ग़ैर-तकनीकी भाषा में प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है| पॉल ब्रन्टन की मृत्यु 1981 में स्विट्ज़रलैंड में हुई जहाँ उन्होंने 20 वर्ष बिताए थे|

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