Kayantaran: Bestseller Book by Rita Sukla: Kayantaran

· Prabhat Prakashan
5.0
1 جائزہ
ای بک
164
صفحات

اس ای بک کے بارے میں

' अरुंधती, चैतन्य होकर मेरी बात सुनो! अपने कर्तव्य को तुमने अपनी संपूर्ण जिजीविषा दी! इस सृष्टि की रचना में सर्वत्र तुम-हीं-तुम हो! काल की गति में तुम्हारे श्वासों का खिंचाव बस इतना भर ही था । जाओ अरुंधती, शांतिपूर्वक देह का त्याग करो! देखो, तुम्हारी उत्तराधिकारिणी यह वैष्णवी तुम्हारे समक्ष है । इसे साथ लेकर मैं यहीं रहूँगा! अपने प्राणों की शेष ऊष्मा तुम्हारी इन मानस- संतानों को देकर संभवत : मेरा प्रायाश्चित्त पूरा हो सके!''

आँसुओं की झिलमिलाहट के आर- पार निष्पलक देखती रही थी वैष्णवी-

बड़े काकाजी का वह गैरिक वसन- त्याग, इकहरे सफेद पहिरावे में श्राद्ध से संबंधित सारे अनुष्ठानों का नीरव निर्वाह ।..

और तेरहवीं की गोधूलि वेला में विद्या निकेतन की बालिकाओं के लिए बड़े काकाजी का वह वात्सल्य पगा संबोधन-

'' आपकी माताजी का स्थानापन्न तो नहीं हो सकता मैं : पर आपकी सेवा में ही मेरे जीवन का अंतिम परितोष सन्निहित है । '' आप ऊर्विजाएँ हैं! आपकी अरुंधती माँ तपकर निखरने का मूल मंत्र पहले ही मे- लोगों को सौंप चुकी हैं । आज से आपकी रक्षा का भार मैं लेता हूँ और अपने संन्यस्त जीवन का परित्याग करता हुआ एक बार फिर से गृही होने की घोषणा करता हूँ! '''

-इसी संग्रह से

प्रख्यात कथाकार ऋता शुक्ल की कहानियों में समाज का संत्रास आँखों देखी घटना के रूप में उभरता है । तभी तो उनकी कहनियाँ संस्मरण, रेखाचित्र और कहानी का मिला-जुला अनूठा आनंद प्रदान करती है उनकी हृदयपर्शी एवं मार्मिक कहानियों का संकलन प्रस्तुत है- ' कायांतरण ' के रूप में।

درجہ بندی اور جائزے

5.0
1 جائزہ

مصنف کے بارے میں

ऋता शुक्‍ल जन्म : 14 नवंबर, 1949 को डिहरी ऑन सोन में । शिक्षा : प्रारंभ‌िक शिक्षा आरा स्थिन पैतृक निवास पर, घर की चारदीवारी के भीतर। मगध विश्‍वविद्यालय की स्नातक हिंदी ' प्रतिष्‍ठा ' ( सत्र 1967) परीक्षा में विशिष्‍टता सहित प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान एवं स्वर्णपदक प्राप्‍त । मार्च 1982 से महिला महाविद्यालय, राँची के हिंदी विभाग में व्याख्याता पद पर कार्यरत, सितंबर 1984 में रीडर के पद पर प्रोन्नत तथा दिसंबर 1987 में विश्‍वविद्यालय प्राध्यापक पद पर प्रोन्नति प्राप्‍त । ' हिंदी कहानी के विकास में महिला कथाकारों का योगदान ' विषय पर मौलिक तथा प्रामाणिक शोध -प्रबंध प्रस्तुत । अनेक शोधार्थी छात्र -छात्राएँ इनके निर्देशन में हिंदी साहित्य के विविध विषयों पर शोध कर रही हैं । आपकी कविताएँ, कहानियाँ, उपन्यास एवं शोधपरक वैचारिक आलेख देश भर की लगभग सभी उच्च स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं । आपका पहला कथा - संकलन ' क्रोंचवध तथा अन्य कहानियाँ ' वर्प 1984 में भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा देश भर से आमंत्रित कुल छियासी पांडुलिपियों में सर्वश्रेष्‍ठ घोषित, पुरस्कृत तथा प्रकाशित किया गया । आपकी अब तक प्रकाशित कृतियाँ हैं - ' दंश ', ' अग्निपर्व ', ' समाधान ', ' बाँधो न नाव इस ठाँव ', ' शेषगाथा ', ' कनिष्‍ठा उँगली का पाप '' कितने जनम वैदेही ', ' कासों कहों मैं दरदिया ', ' मानुस तन ' तथा ' कायांतरण ' ।

اس ای بک کی درجہ بندی کریں

ہمیں اپنی رائے سے نوازیں۔

پڑھنے کی معلومات

اسمارٹ فونز اور ٹیب لیٹس
Android اور iPad/iPhone.کیلئے Google Play کتابیں ایپ انسٹال کریں۔ یہ خودکار طور پر آپ کے اکاؤنٹ سے سینک ہو جاتی ہے اور آپ جہاں کہیں بھی ہوں آپ کو آن لائن یا آف لائن پڑھنے دیتی ہے۔
لیپ ٹاپس اور کمپیوٹرز
آپ اپنے کمپیوٹر کے ویب براؤزر کا استعمال کر کے Google Play پر خریدی گئی آڈیو بکس سن سکتے ہیں۔
ای ریڈرز اور دیگر آلات
Kobo ای ریڈرز جیسے ای-انک آلات پر پڑھنے کے لیے، آپ کو ایک فائل ڈاؤن لوڈ کرنے اور اسے اپنے آلے پر منتقل کرنے کی ضرورت ہوگی۔ فائلز تعاون یافتہ ای ریڈرز کو منتقل کرنے کے لیے تفصیلی ہیلپ سینٹر کی ہدایات کی پیروی کریں۔