Kutaz

· Lokbharti Prakashan
4.0
2 ವಿಮರ್ಶೆಗಳು
ಇ-ಪುಸ್ತಕ
126
ಪುಟಗಳು

ಈ ಇ-ಪುಸ್ತಕದ ಕುರಿತು

आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी भारतीय मनीषा के प्रतीक और साहित्य एवं संस्कृति के अप्रतिम व्याख्याकार माने जाते हैं और उनकी मूल निष्ठा भारत की पुरानी संस्कृति में है लेकिन उनकी रचनाओं में आधुनिकता के साथ भी आश्चर्यजनक सामंजस्य पाया जाता है। हिन्दी साहित्य की भूमिका और बाणभट्ट की आत्मकथा जैसी यशस्वी कृतियों के प्रणेता आचार्य द्विवेदी को उनके निबन्धों के लिए भी विशेष ख्याति मिली। निबन्धों में विषयानुसार शैली का प्रयोग करने में इन्हें अद्भुत क्षमता प्राप्त है। तत्सम शब्दों के साथ ठेठ ग्रामीण जीवन के शब्दों का सार्थक प्रयोग इनकी शैली का विशेष गुण है। भारतीय संस्कृति, इतिहास, साहित्य, ज्योतिष और विभिन्न धर्मों का उन्होंने गम्भीर अध्ययन किया है जिसकी झलक पुस्तक में संकलित इन निबन्धों में मिलती है। छोटी-छोटी चीजों, विषयों का सूक्ष्मतापूर्वक अवलोकन और विश्लेषण-विवेचन उनकी निबन्ध- कला का विशिष्ट व मौलिक गुण है। निश्चय ही उनके निबन्धों का यह संग्रह पाठकों को न केवल पठनीय लगेगा बल्कि उनकी सोच को एक रचनात्मक आयाम प्रदान करेगा।

ರೇಟಿಂಗ್‌ಗಳು ಮತ್ತು ಅಭಿಪ್ರಾಯಗಳು

4.0
2 ವಿಮರ್ಶೆಗಳು

ಲೇಖಕರ ಕುರಿತು

बचपन का नाम: बैजनाथ द्विवेदी। जन्म: श्रावणशुक्ल एकादशी सम्वत् 1964 (1907 ई.)। जन्म-स्थान: आरत दुबे का छपरा, ओझवलिया, बलिया (उत्तर प्रदेश)। शिक्षा: संस्कृत महाविद्यालय, काशी में। 1929 में संस्कृत साहित्य में शास्त्री और 1930 में ज्योतिष विषय लेकर शास्त्राचार्य की उपाधि। 8 नवम्बर, 1930 को हिन्दी शिक्षक के रूप में शान्तिनिकेतन में कार्यारम्भ; वहीं 1930 से 1950 तक अध्यापन; सन् 1950 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हिन्दी प्राध्यापक और हिन्दी विभागाध्यक्ष; सन् 1960-67 में पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में हिन्दी प्राध्यापक और विभागाध्यक्ष; 1967 के बाद पुनः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में; कुछ दिनों तक रैक्टर पद पर भी। हिन्दी भवन, विश्वभारती के संचालक 1945-50; ‘विश्व-भारती’ विश्वविद्यालय की एक्ज़ीक्यूटिव काउन्सिल के सदस्य 1950-53; काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष 1952-53; साहित्य अकादेमी, दिल्ली की साधारण सभा और प्रबन्ध-समिति के सदस्य; राजभाषा आयोग के राष्ट्रपति-मनोनीत सदस्य 1955; जीवन के अन्तिम दिनों में उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष रहे। नागरी प्रचारिणी सभा, काशी के हस्तलेखों की खोज (1952) तथा साहित्य अकादेमी से प्रकाशित नेशनल बिब्लियोग्राफी (1954) के निरीक्षक। सम्मान: लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्मानार्थ डॉक्टर ऑफ लिट्रेचर उपाधि (1949), पद्मभूषण (1957), पश्चिम बंग साहित्य अकादेमी का टैगोर पुरस्कार तथा केन्द्रीय साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1973)। देहावसान: 19 मई, 1979

ಈ ಇ-ಪುಸ್ತಕಕ್ಕೆ ರೇಟಿಂಗ್ ನೀಡಿ

ನಿಮ್ಮ ಅಭಿಪ್ರಾಯವೇನು ಎಂದು ನಮಗೆ ತಿಳಿಸಿ.

ಮಾಹಿತಿ ಓದುವಿಕೆ

ಸ್ಮಾರ್ಟ್‌ಫೋನ್‌ಗಳು ಮತ್ತು ಟ್ಯಾಬ್ಲೆಟ್‌‌ಗಳು
Android ಮತ್ತು iPad/iPhone ಗೆ Google Play ಪುಸ್ತಕಗಳ ಆ್ಯಪ್ ಇನ್‌ಸ್ಟಾಲ್ ಮಾಡಿ. ಇದು ನಿಮ್ಮ ಖಾತೆಯನ್ನು ಸ್ವಯಂಚಾಲಿತವಾಗಿ ಸಿಂಕ್‌ ಮಾಡುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ನೀವು ಎಲ್ಲೇ ಇರಿ ಆನ್‌ಲೈನ್‌ ಅಥವಾ ಆಫ್‌ಲೈನ್‌ನಲ್ಲಿ ಪುಸ್ತಕಗಳನ್ನು ಓದಲು ಅನುಮತಿಸುತ್ತದೆ.
ಲ್ಯಾಪ್‌ಟಾಪ್‌ಗಳು ಮತ್ತು ಕಂಪ್ಯೂಟರ್‌ಗಳು
Google Play ನಲ್ಲಿ ಖರೀದಿಸಿದ ಆಡಿಯೋಬುಕ್‌ಗಳನ್ನು ನಿಮ್ಮ ವೆಬ್‌ ಬ್ರೌಸರ್‌ನ ಕಂಪ್ಯೂಟರ್‌ನ ಲ್ಲಿ ಆಲಿಸಬಹುದು.
eReaders ಮತ್ತು ಇತರ ಸಾಧನಗಳು
Kobo ಇ-ರೀಡರ್‌ಗಳಂತಹ ಇ-ಇಂಕ್ ಸಾಧನಗಳ ಕುರಿತು ಓದಲು, ನೀವು ಫೈಲ್ ಅನ್ನು ಡೌನ್‌ಲೋಡ್ ಮಾಡಬೇಕಾಗುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಅದನ್ನು ನಿಮ್ಮ ಸಾಧನಕ್ಕೆ ವರ್ಗಾಯಿಸಬೇಕು. ಫೈಲ್‌ಗಳು ಮತ್ತು ಬೆಂಬಲಿತ ಇ-ರೀಡರ್‌ಗಳನ್ನು ವರ್ಗಾವಣೆ ಮಾಡಲು ವಿವರವಾದ ಸಹಾಯ ಕೇಂದ್ರ ಸೂಚನೆಗಳನ್ನು ಅನುಸರಿಸಿ.