दोहा द्युथी में भरा, जीवन का संदेश।
ज्यों रवि की पहली किरण, हरता सभी क्लेश।।
मेरी ये काव्य रचना मानो सूरज की पहली किरणों की तरह जीवन संदेश सुनाती है। इसकी नर्म-मुलायम किरणें तन मन को सहलाती है, जीने की कला सिखाती है, कर्तव्यों का बोध कराती है, कमल आस्था का खिलाती है, अमृत कलश छलकाती है, जीवन में प्राण ऊर्जा चेतना को भर जाती है, प्रेम उर-अन्तस में पिरोती है। कितनों के मन के दिये कि लौ, जो लड़ झगड़ रही है नकारात्मक तूफाँ में, अपना वजूद संभालने के लिए उसे शक्ति मिलेगी इन किरणों से।
दोहा द्युथी सूर्य सम, चमके नित आकाश।
युग-युग तक बढ़ता रहे, इसका नवल प्रकाश।।