MADHYARATRA

· MEHTA PUBLISHING HOUSE
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उच्च जीवनमूल्यांचं महत्त्व ठसवणार्या आदर्श कथा

"मध्यरात्र' हा मराठी साहित्यातील श्रेष्ठ लेखक कै. वि. स. खांडेकर यांचा कुमारवयातील मुलांसाठीचा कथासंग्रह. मात्र यातील कथा प्रौढांनाही अंतर्मुख करून आपले विचार आणि कृती तपासून पाहायला उद्युक्त करतात. मुलांवर लहानपणापासून घरातली वडीलधारी माणसं, शिक्षक, वाचन यांचे संस्कार होत असतात. त्यातून त्यांच्या मनावर काही मूल्यं ठसतात. काही आदशा|च्या प्रतिमा कोरल्या जातात;परंतु प्रत्यक्ष जीवनात जर त्यांना ही मूल्यं कधी पायदळी तुडवली गेलेली दिसली, ज्यांचे आदर्श बाळगले त्यांच्या प्रतिमांना तडे गेले, तर त्यांचं मनोविश्व डळमळू लागतं.... सगळंच चांगलंं खोटं असतं का ?... ढोंग असतं का ?... मग खरं काय ?... अशा वेळी अंधारातल्या प्रकाशरेखेसारखं हळूच कुणीतरी त्यांचं बोट धरून त्यांना वाट दाखवतं !! वि. स. खांडेकर यांनी आपल्या कथांतून नेमकं हेच साधलं आहे. कधी ते अतिशय बालसुलभ, सहज शैलीत अशा भांबावलेल्या मुलांना सावरतात व योग्य मार्ग दाखवतात; कधी रूपककथांतून जीवनातल्या चिरंतन मूल्यांशी त्यांची गाठ घालून देतात; तर कधी हसत हसत जीवनाचं सार सांगतात.

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