भारत को आजाद कराने में अनेक देशभक्तों ने आत्मबलिदान किया। उनमें श्यामजी कृष्ण वर्मा भी एक थे; जो लंबे समय तक गुमनाम बने रहे। उन्होंने अपनी मृत्यु के समय कहा था; ‘मेरी अस्थियाँ भारत में तभी ले जाई जाएँ; जब वह अंग्रेजों का गुलाम भारत न होकर हमारा आजाद भारत हो चुका हो।’ उनकी यह अभिलाषा भारत की आजादी के 55 वर्ष बाद श्री नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद पूरी हुई।
श्यामजी कृष्ण वर्मा का जन्म 4 अक्तूबर; 1857 को गुजरात में कच्छ के मांडली गाँव में हुआ। वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान् तथा ऑक्सफोर्ड से एम.ए. और बैरिस्टर की उपाधियाँ प्राप्त करनेवाले पहले भारतीय थे। वे कुछ समय तक ऑक्सफोर्ड में संस्कृत के प्रोफेसर भी रहे।
सन् 1905 में लॉर्ड कर्जन की ज्यादतियों के विरुद्ध उन्होंने क्रांतिकारी छात्रों को लेकर ‘इंडियन होम रूल सोसाइटी’ की स्थापना की। भारत की आजादी के समग्र संघर्ष हेतु सन् 1905 में ही उन्होंने इंग्लैंड में ‘इंडिया हाउस’ की स्थापना की। जब अंग्रेज सरकार ने वहाँ पहरा बिठा दिया तो वे स्विट्जरलैंड चले गए और वहाँ से ‘दि इंडियन सोशिओलॉजिस्ट’ मासिक में अपनी लेखनी से आजादी के आंदोलन को धार देने लगे।
31 मार्च; 1933 को जेनेवा के एक अस्पताल में उनका निधन हो गया। 73 साल तक उनकी अस्थियाँ स्विट्जरलैंड के एक संग्रहालय में मुक्ति के इंतजार में छटपटाती रह्वहीं।KRANTIDRISHTA SHYAMJI KRISHNA VERMA by M A SAMEER: "KRANTIDRISHTA SHYAMJI KRISHNA VERMA" is likely a book that delves into the life and contributions of Shyamji Krishna Verma, a prominent freedom fighter and patriot during India's struggle for independence.
Key Aspects of the Book "KRANTIDRISHTA SHYAMJI KRISHNA VERMA":
Biographical Account: The book may provide a comprehensive biography of Shyamji Krishna Verma, detailing his early life, activism, and role in the freedom movement.
Freedom Struggle: It might explore his involvement in various freedom movements, including his establishment of India House in London.
Patriotism and Ideals: "KRANTIDRISHTA SHYAMJI KRISHNA VERMA" could discuss his unwavering commitment to India's independence and his vision for the nation.
The author, M A SAMEER, likely researched and documented the life of Shyamji Krishna Verma to shed light on his significant contributions to India's struggle for freedom.