Maila Anchal

· Rajkamal Prakashan
4.3
60 reviews
Ebook
353
Pages

About this ebook

मैला आँचल हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं भी घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है। मैला आँचल का कथानायक एक युवा डॉक्टर है जो अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक पिछड़े गाँव को अपने कार्य-क्षेत्र के रूप में चुनता है, तथा इसी क्र म में ग्रामीण जीवन के पिछड़ेपन, दु:ख-दैन्य, अभाव, अज्ञान, अन्धविश्वास के साथ-साथ तरह-तरह के सामाजिक शोषण-चक्र में फँसी हुई जनता की पीड़ाओं और संघर्षों से भी उसका साक्षात्कार होता है। कथा का अन्त इस आशामय संकेत के साथ होता है कि युगों से सोई हुई ग्राम-चेतना तेजी से जाग रही है। कथाशिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु की इस युगान्तरकारी औपन्यासिक कृति में कथाशिल्प के साथ-साथ भाषा और शैली का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहज-स्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी। ग्रामीण अंचल की ध्वनियों और धूसर लैंडस्केप्स से सम्पन्न यह उपन्यास हिन्दी कथा-जगत में पिछले कई दशकों से एक क्लासिक रचना के रूप में स्थापित है।

Ratings and reviews

4.3
60 reviews
Anugrah narayan jha
September 30, 2017
I purchased this Book &outlook magazine but can't open both please help.
12 people found this review helpful
Chandan Rathour
September 5, 2020
जितनी बार भी पढ़ता हूं उतनी बार दुबारा पढ़ने की इच्छा प्रबल होती जाती है, इस कालजई रचना का सबसे बड़ा तो नहीं, मगर हां!एक भक्त जरूर हूं।
9 people found this review helpful
A Google user
July 17, 2018
Best; but not free available.
23 people found this review helpful

About the author

हिन्दी कथा-साहित्य को सांगीतिक भाषा से समृद्ध करनेवाले फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म बिहार के पूर्णिया जिले के औराही हिंगना गाँव में 4 मार्च, 1921 को हुआ। लेखन और जीवन, दोनों में दमन और शोषण के विरुद्ध आजीवन संघर्ष के प्रतिबद्ध रेणु ने राजनीति में भी सक्रिय हिस्सेदारी की। 1942 के भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में एक प्रमुख सेनानी की हैसियत से शामिल रहे। 1950 में नेपाली जनता को राणाशाही के दमन और अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशस्त्र क्रान्ति और राजनीति में सक्रिय योगदान। 1952-53 में दीर्घकालीन रोगग्रस्तता के बाद राजनीति की अपेक्षा साहित्य-सृजन की ओर अधिकाधिक झुकाव। 1954 में बहुचर्चित उपन्यास मैला आँचल का प्रकाशन। कथा-साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण, रेखाचित्र और रिपोर्ताज़ आदि विधाओं में भी लिखा। व्यक्ति और कृतिकार, दोनों ही रूपों में अप्रतिम। जीवन की सांध्य वेला में राजनीतिक आन्दोलन से पुनः गहरा जुड़ाव। जे.पी. के साथ पुलिस दमन के शिकार हुए और जेल गए। सत्ता के दमनचक्र के विरोध में पद्मश्री लौटा दी। मैला आँचल के अतिरिक्त आपके प्रमुख उपन्यास हैं: परती परिकथा और दीर्घतपा; ठुमरी, अगिनखोर, आदिम रात्रि की महक, एक श्रावणी दोपहरी की धूप तथा सम्पूर्ण कहानियाँ में कहानियाँ संकलित हैं। संस्मरणात्मक पुस्तकें हैं: ऋणजल धनजल, वन तुलसी की गन्ध, श्रुत-अश्रुत पूर्व। नेपाली क्रान्ति-कथा चर्चित रिपोर्ताज है।, भारत यायावर द्वारा सम्पादित रेणु रचनावली में फणीश्वरनाथ रेणु का सम्पूर्ण रचना-कर्म पाँच खंडों में प्रस्तुत किया गया है। 11 अप्रैल, 1977 को देहावसान।

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