Main Premchand Bol Raha Hoon: MAIN PREMCHAND BOL RAHA HOON: Echoes of Premchand's Stories

· Prabhat Prakashan
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এই ইবুকখনৰ বিষয়ে

उपन्यास सम्राट् मुंशी प्रेमचंद ने गरीब मजदूरों व किसानों पर हो रहे अत्याचारों और उनके शोषण को बड़ी निकटता से देखा था। यही कारण है कि उन्होंने समाज से जुड़ी इस तरह की घटनाओं का अपनी रचनाओं में यथार्थ रूप से स्पष्ट वर्णन किया है।
भारत उस समय परतंत्रता की बेडि़यों में जकड़ा हुआ था। अंग्रेज सरकार भारतीय जनता पर तरह-तरह के अत्याचार कर रही थी; जिससे जनता बुरी तरह त्रस्त थी। लोगों में राष्ट्र-प्रेम की भावना जाग्रत् करने के लिए प्रेमचंद ने अनेक लेख; कहानियाँ और उपन्यास लिखे। घोर निराशा में डूबी और अवसादग्रस्त जनता को झकझोरने के लिए उन्होंने सामाजिक कुप्रथाओं; जैसे— अनमेल विवाह; दहेज-प्रथा और बाल-विवाह पर कड़े प्रहार किए।
इस पुस्तक में देश; समाज; धर्म; मानवीय अनुभूतियों और साहित्य की विभिन्न विधाओं पर प्रेमचंदजी के सुस्पष्ट विचार-पुष्प संचित हैं। प्रेमचंद की विभिन्न रचनाओं; लेखों एवं भाषणों में अभिव्यक्त उनके विचारों का प्रेरणाप्रद संकलन है ‘मैं प्रेमचंद बोल रहा हूँ’।

মূল্যাংকন আৰু পৰ্যালোচনাসমূহ

৫.০
৩ টা পৰ্যালোচনা

লিখকৰ বিষয়ে

जन्म : 2 जून, 1967 को ग्राम लाँक, जिला शामली, उत्तर प्रदेश में। शिक्षा : स्नातक (उस्मानिया विश्वविद्यालय, हैदराबाद)। कृतित्व : ‘हरियाणा हैरिटेज’ में संपादन कार्य किया। दिल्ली के कई प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थानों के लिए वैतनिक एवं स्वतंत्र रूप से संपादनलेखन कार्य; विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से अब तक लगभग 65 पुस्तकें प्रकाशित। देश की सामाजिक समस्याओं पर 10 कहानियाँ एवं विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में राजनीतिकसामाजिक विषयों पर अनेक लेख प्रकाशित।

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