Moun Niyam: Swayam Ko Janne Ka Nishabda Upay

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.5
26 reviews
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144
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About this eBook

सबसे बड़ी सफलता के आगे कौन सी अवस्था है



क्या बड़ा आदमी बनना आपकी उच्चतम अवस्था है?

क्या हर जगह अव्वल आना आपकी उच्चतम अवस्था है?

क्या जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाना आपकी उच्चतम अवस्था है?

अपने सभी सपनों को पूरा करना आपकी उच्चतम अवस्था है?

नहीं!

ये सभी बातें तो स्वतः आपके जीवन में आने लगेंगी, जब आप अपनी उच्चतम अवस्था में आ जाएँगे। यह अवस्था क्या है और कैसे प्राप्त होती है?

इसे समझने के लिए आपको रुक-रुककर यात्रा करनी होगी।

इस निःशब्द यात्रा में यह पुस्तक आपकी मार्गदर्शिका बनेगी।

इस पुस्तक में मौन यानी चुप रहने की बात नहीं की जा रही बल्कि आध्यात्मिक मौन की बात की जा रही है। यह पुस्तक माया से मौन की यात्रा है, नकली खुशी से असली आनंद की यात्रा है, निम्न अवस्था से उच्चतम अवस्था की यात्रा है।आइए, स्वयं को जानने के अंतिम मार्ग पर इस शुभ यात्रा का परिणाम प्राप्त करें।



Ratings and reviews

4.5
26 reviews
Prashant Verma
10 June 2023
शायद मैं अच्छे से समझ नहीं पाई लेकिन जो समझी बहुत अच्छा लगा ☺️🤗
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Bhavya varlani
14 May 2024
The book is very very❤ superb
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harsh parashar
30 March 2023
nice
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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