PANNE: SAADE AUR SATRANGI SE

· · · · · · · ·
· Geel Infix Publishing Services
5,0
6 umsagnir
Rafbók
127
Síður

Um þessa rafbók

‘पन्ने.. सादे और सतरंगी से’ जील इन्फ़िक्स पब्लिशिंग सर्विसेज की ओर से संकलन श्रृंखला की ये नौवीं किताब है, जिसमें कोशिश की गई है कि नये लेखक-लेखिकाओं और पूर्व से ही प्रकाशित अनुभवी एवं मंझे हुए अन्य लेखक-लेखिकाओं को एक मंच पर, एक किताब की सूरत में लाने की, ताकि उनके ख़ूबसूरत ख़यालात उन लोगों तक पहुँच सके, जो इन चीज़ों की परख रखतें हैं। ये किताब उन नौ लोगों की लेखनी से सराबोर है, जिनकी लिखी कवितायें आप सबके ज़ेहन में सालों तक अपनी पैठ बनाये रखेे लिए। 

Einkunnir og umsagnir

5,0
6 umsagnir

Um höfundinn

नेहा मुनेश शर्मा ‘निर्झरा’ (नेहा एम्. 'निर्झरा') का जन्म 01 अगस्त, 1980 को दिल्ली में हुआ। आपका पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा सब दिल्ली में ही हुई। आपने दिल्ली विश्वविद्यालय से 'हिन्दी साहित्य' में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की है और साथ ही चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से 'शिक्षाशास्त्र' में स्नातकोत्तर की उपाधि भी प्राप्त की है। आपके तीन काव्य-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं- 'अनुभूति से अभिव्यक्ति तक'; 'मंथन'; 'बावरा मन'। आप असीमित संभावनाओं से भरी कवयित्री हैं। प्रेम, समाज, व्यक्ति, परिवेश, स्त्री-मन आदि विषयों पर आपकी लेखनी चली है। श्रृंगार के संयोग और वियोग दोनों रूप सहज रूप में आपके काव्य में दृष्टिगोचर होते हैं। 'प्रेम' जैसा अबूझ विषय आपके काव्य का मुख्य बिन्दु रहा है। आप 'नेहा एम्. 'निर्झरा'' के नाम से लिखती हैं। 

ज़ुल्क़रनैन हैदर अली ख़ान का जन्म उत्तर प्रदेश के हापुर जिले के तहसील धौलाना के निकट देहरा गाँव में 7 फरवरी, 1996 को चौधरी सुल्तान अहमद के परिवार में पैदा हुए। इनके पिता का नाम वकील अहमद और माता का नाम सलमा खातून है। 2014 में इंटर मीडिएट की परीक्षा प्रथम स्थान से उत्तीर्ण की। इसके पश्चात गाज़ियाबाद के एम. एम.एच. कॉलेज से विज्ञान विषय से बी.एस.सी. में ग्रेजुएशन किया और एक स्कूल में अध्यापन कार्य करते हैं। बचपन में दोस्तों का साथ ना होने के कारण क़लम को अपना दोस्त बनाया और लफ़्ज़ों के साथ खेलने का शौक पैदा हुआ।


सत्यम सिंह का जन्म 17 अप्रैल, 1998 को मध्यप्रदेश के सागर जिले के बेरखेड़ी गोपाल नामक छोटे से गाँव में हुआ। जहाँ के सरकारी स्कूल से इन्होंने अपनी प्रारंभिक (चौथी कक्षा तक) शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद ये छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में अपने पिता किशोर सिंह व अपनी माता जानकी सिंह के साथ रहने लगे। जहाँ इन्होंने अपनी इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन की शिक्षा प्राप्त की।


बहुमुखी प्रतिभा के धनी, लेखक हर्षितेश्वर मणि तिवारी मूलतः उत्तरप्रदेश के जिला गोरखपुर के चौरी-चौरा के पास बाबू बिशुनपुरा (गौनर) के निवासी है। वर्तमान में यह मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले के कोयलांचल क्षेत्र राजनगर में निवासरत है।


आप पाठन में खनन एवं खनन सर्वेक्षण की शिक्षा प्राप्त कर ओवरमैन पद की तैयारी कर रहे छात्र है एवं अपनी पाठन की तैयारी के साथ अपने क्षेत्र में समाज सेवक की भूमिका अदा करते हुए निःशक्तजनों की मदद करते आये है एवं इसी के अंतर्गत मुख्य रूप से रक्तदान करना एवं जरूरतमन्द लोगों को रक्त की उपलब्धता करवाना आपकी प्राथमिकता है।


खण्डवा (म.प्र.) के एक मध्यम वर्गीय परिवार में पले-बड़े विरल M लाड़ का जन्म 6 अप्रैल, 1998 को हुआ। पेशे से मेकेनिकल इंजीनियर विरल लेखन का भी बहुत शौक रखते हैं। इनकी माता किरण लाड़ और पिता मनोज लाड़ के हौसले और सहयोग के साथ विरल मंच संचालन और समाज सेवा के कार्यों में भी आगे हैं। इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा श्री रायचंद नागड़ा शासकीय विद्यालय खंडवा से पूरी करने के बाद महात्मा ज्योतिबा फूले शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय से मेकेनिकल ब्रांच में डिप्लोमा किया। वर्तमान में यह जॉन डियर देवास में कार्य कर रहे हैं। इनकी रचना 'माँ' और 'प्यारी बहना' Never thought मे प्रकाशित हुई हैं। 


20 जून सन् 1984 टिहरी जिला (वर्तमान में रूद्रप्रयाग) में जन्मी नीलम अब चमोली जिले की निवासी हैं। आपने अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, टिहरी (बैच 1995--2002) से प्राप्त की, तथा स्नातक अगस्त्यमुनि महाविद्यालय से और स्नातकोत्तर की शिक्षा गोपेश्वर महाविद्यालय जिला चमोली से प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने एम.एम.आई. मसूरी से बी.एड. की डिग्री प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। लेखन में इनकी रूचि बचपन से थी, किंतु सिर्फ अपनी डायरी तक ही सीमित थी। 


आशीष त्रिवेदी जी मूलतः रायबरेली जनपद उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। इनका जन्म डलमऊ कस्बे के एक छोटे से गाँव कोरौली दमा में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। इनके पिता श्री आनन्द प्रकाश त्रिवेदी स्वयं एक अध्यापक हैं, इसलिए बचपन से ही घर का वातावरण पठन-पाठन के अनुकूल रहा, वहीं से इन्हें कविताएँ और कहानियाँ पढ़ने और बाद में लिखने की प्रेरणा मिली।


आभा मिश्रा मूलतः ग्राम कन्नौज (उ.प्र.) निवासी हैं। वर्तमान में आप 'शिक्षा नगरी' कोटा, राजस्थान में निवासरत हैं। आप पेशे से भारतीय जीवन बीमा में अभिकर्ता तथा निजी विद्यालय में अध्यापिका पद पर कार्यरत हैं। 


लेखन कार्य में आप रुचि रखती है। हिंदी के समागम में अपनी लेखनी को अंजाम देती है। Y. Q. पटल से इन्होंने लिखना सीखा। 


अपनी स्कूली शिक्षा रेलवे प्रा. वि. फुलेरा से पूर्ण की, तदोपरांत राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से स्नातकोत्तर की डिग्री ली। साथ ही पुस्तकालय अध्यक्ष की परीक्षा उत्तीर्ण की है। आप समाज सेवा के कार्यों में भी जुड़ी रहती हैं। 


पंकज स्वामी का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के छोटे से गाँव बख्तावरपुरा में हुआ। प्रंभिक शिक्षा ग्रामीण परिवेश में पूर्ण करने के बाद संबंधित तहसील सूरतगढ़ में विज्ञान संकाय से 11वीं तथा 12वीं पूर्ण की। स्कूली शिक्षा के बाद टैगोर पीजी महाविद्यालय, सूरतगढ़ से कंप्यूटर विषय में रुचि होने के कारण स्नातक कर रहे हैं, जहाँ लेखन और वक्ता प्रतियोगिता में भाग लेते रहे हैं। साथ ही वे एक निजी कंप्यूटर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में IT head के तौर पर कार्य कर रहे हैं।

संगीता पाटीदार ‘धुन’, भोपाल (म० प्र०) से हैं। इन्होंने अपनी 12वीं तक की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय सीहोर और होशंगाबाद से प्राप्त की। उसके पश्चात् उन्होंने M.COM, MSW और MBA की उपाधियाँ प्राप्त की। उनके विनम्र मूल ने उन्हें जीवन के अनुभवों के बारे में बहुत कुछ सिखाया, जो उन्होंने कविता के रूप में व्यक्त करना शुरू किया। कविता के लिए यह जुनून ‘एहसास ... दिल से दिल की बात’ और ‘ढाई आखर... अधूरा होकर भी पूरा’, कविता-संग्रह के रूप में प्रकाशित हुआ। वह ‘42 डेज़... धुँधले ख़्वाब से तुम..भीगी आँख सी मैं’ और ‘अ ज्वेल इन द लोटस... कहानी 42 दिनों की’, प्रकाशित हिंदी उपन्यास, 'मुक़ाम' एवं 'फाग के राग' हिंदी कविता संग्रह की सह-लेखिका भी हैं। उन्होंने कई हिंदी पुस्तकों के संपादन कार्य में विशेष योगदान दिया है।

Gefa þessari rafbók einkunn.

Segðu okkur hvað þér finnst.

Upplýsingar um lestur

Snjallsímar og spjaldtölvur
Settu upp forritið Google Play Books fyrir Android og iPad/iPhone. Það samstillist sjálfkrafa við reikninginn þinn og gerir þér kleift að lesa með eða án nettengingar hvar sem þú ert.
Fartölvur og tölvur
Hægt er að hlusta á hljóðbækur sem keyptar eru í Google Play í vafranum í tölvunni.
Lesbretti og önnur tæki
Til að lesa af lesbrettum eins og Kobo-lesbrettum þarftu að hlaða niður skrá og flytja hana yfir í tækið þitt. Fylgdu nákvæmum leiðbeiningum hjálparmiðstöðvar til að flytja skrár yfir í studd lesbretti.