Pancha Mahaabhoot Aur Svaasthy: पंच महाभूत और स्‍वास्‍थ्‍य

· Dr. Umesh Puri
4.1
51 રિવ્યૂ
ઇ-પુસ્તક
94
પેજ

આ ઇ-પુસ્તક વિશે

शरीर पंच महाभूतों से बना हुआ है। पहला सुख नीरोगी काया होता है। शरीर स्‍वस्‍थ है तो सभी सुख प्राप्‍त किए जा सकते हैं। पृथ्‍वी, अग्नि, वायु, जल और आकाश नामक पंच महाभूत जब शरीर में असन्‍तुलित होते हैं तो शरीर रोगी हो जाता है और यदि हम इन तत्त्वों का सन्‍तुलन करना सीख जाएं तो शरीर स्‍वस्‍थ बना सकते हैं। इस पुस्‍तक में पांच तत्त्वों और मुद्राओं के द्वारा शरीर को स्‍वस्‍थ रखने का सरल तरीका दिया गया है। इस पुस्‍तक को पढ़कर कोई भी अपना स्‍वास्‍थ्‍य ठीक रख सकता है। यह पुस्‍तक सभी आयु वर्ग के बच्‍चों, किशोर, युवा, स्‍त्री-पुरुषों एवं बुर्जगों के लिए उपयोगी है। इस पुस्‍तक में बतायी गयी सरल मुद्राओं एवं सरल ज्ञान को व्‍यवहार में लाकर स्‍वस्‍थ रह सकता है। पुस्‍तक पढ़कर लाभ उठाएं और अपने मित्रों, परिचितों एवं परिवार जनों को बताकर उन्‍हें भी स्‍वस्‍थ रहने का मार्ग सुझाएं।

રેટિંગ્સ અને સમીક્ષાઓ

4.1
51 રિવ્યૂ

લેખક વિશે

नाम-डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर'

जन्मतिथि-2 जुलाई 1957

शिक्षा-बी.-एस.सी.(बायो), एम.ए.(हिन्दी), पी.-एच.डी.(हिन्दी)

सम्प्रति-ज्योतिष निकेतन सन्देश(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक) पत्रिका के सम्‍पादन व लेखन कार्य में 2004 से 2018 तक संलग्‍न रहे। सन्‌ 1977 से ज्योतिष सलाह एवं पुस्‍तक लेखन के कार्य में निरन्‍तर संलग्न हैं। अन्य विवरण पुरस्कार आदि -

- विभिन्न विषयों पर 74 पुस्तकें प्रकाशित एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन।

- 3 ईबुक्स आॅनलाईन स्मैश वर्डस पर प्रसारित।

- 7 ईबुक अॅमेजन किंडल डायरेक्‍ट पब्‍लिशिंग पर आॅनलाईन प्रसारित।

- 64 ईबुक गूगल प्‍ले बुक्‍स पर आॅनलाईन प्रसारित।

- राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख, कहानियां एवं कविताएं प्रकाशित।

- युववाणी दिल्ली से स्वरचित प्रथम कहानी 'चिता की राख' प्रसारित।

- युग की अंगड़ाई हिन्दी साप्ताहिक में उप-सम्पादक का कार्य किया।

- क्रान्तिमन्यु हिन्दी मासिक में सम्पादन सहयोग का कार्य किया।

- भारत के सन्त और भक्त पुस्तक पर उ.प्र.हिन्दी संस्थान द्वारा 8000/- रू. का वर्ष 1995 का अनुशंसा पुरस्कार प्राप्त।

- रम्भा-ज्योति(हिन्दी मासिक) द्वारा कविता पर 'रम्भा श्री' उपाधि से अलंकृत।

- चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1989 में ज्योतिष बृहस्पति उपाधि से अलंकृत।

- पंचम अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1991 में ज्योतिष भास्कर उपाधि से अलंकृत।

- फ्यूचर प्वाईन्ट द्वारा ज्योतिष मर्मज्ञ की उपाधि से अलंकृत।

मेरा कथन-'मेरा मानना है कि जीवन का हर पल कुछ कहता है जिसने उस पल को पकड़ कर सार्थक बना लिया उसी ने उसे जी लिया। जीवन की सार्थकता उसे जी लेने में है।'

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