‘प्रोस्तोर’ (विस्तार) लघु उपन्यास, 1990 के दशक की एक सच्ची घटना पर आधारित है। इस दौर में सैकड़ों धागा मिलें बन्द हुईं। नौकरी के अभाव में मजदूर पलायन करने लगते हैं। एक सहकारी धागा मिल बन्द होने पर पूरा कस्बा खण्डहर होने लगता है। मजदूर वर्ग मिल चलवाने के लिए संघर्ष करता है।
ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिघटना को एक लघु उपन्यास के रूप में प्रस्तुत करना कठिन चुनौती है। कितना न्याय कर पाया हूं, इसके बारे में तो सुधी पाठक ही बता सकते हैं। आपके सुझावों का हमेशा की तरह इंतजार रहेगा।
Beletristika i književnost