Rigveda-Vani: ऋग्वेद-वाणी

·
· Dr. Umesh Puri
4.3
70 reviews
Ebook
45
Pages

About this ebook

 ऋग्वेद ज्ञान का महासागर है। इस ग्रन्‍थ में ज्ञान के अनेक रंग समाहित हैं। इस महासागर में से 27 अनमोल ज्ञान-मणियां चयनित करके इस पुस्‍तक में दे रहे हैं। ये आपको ज्ञान के साथ-साथ जीवन को उन्‍नत करने का पथ भी प्रशस्‍त करेंगी। ये 27 ज्ञान-मणि में समाहित वेद-वाणी से आप अपने जीवन को सत्‍य व उन्‍नत-पथ पर ले जाने में सफ़ल होंगे। ऋग्वेद-वाणी पुस्‍तक पढ़कर ज्ञान को व्‍यवहार में लाएं। इस पुस्‍तक का नया संशोधित संस्‍करण 2023 पेपर बैक में पाने के लिए लिंक पर जाएं-https://notionpress.com/read/rigveda-vani


Ratings and reviews

4.3
70 reviews
Bhuneshwar sonkar
August 13, 2023
very very nice Book 📖😊📖
suraj singh
December 24, 2022
good
Shubham Kumar
August 28, 2018
Nice book
4 people found this review helpful

About the author

 नाम-डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर'
जन्मतिथि-2 जुलाई 1957
शिक्षा-बी.-एस.सी.(बायो), एम.ए.(हिन्दी), पी.-एच.डी.(हिन्दी)
सम्प्रति-ज्योतिष निकेतन सन्देश(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक) पत्रिका का सम्पादन व लेखन। सन्‌ 1977 से ज्योतिष के कार्य में संलग्न।
अन्य विवरण पुरस्कार आदि -
- विभिन्न विषयों पर 74 पुस्तकें प्रकाशित एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन।
- 6 ईबुक्स आॅनलाईन स्मैश वर्डस पर प्रसारित।
- 3 ईबुक अॅमेजन किंडल डायरेक्‍ट पब्‍लिशिंग पर आॅनलाईन प्रसारित।
- राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख, कहानियां एवं कविताएं प्रकाशित।
- युववाणी दिल्ली से स्वरचित प्रथम कहानी 'चिता की राख' प्रसारित।
- युग की अंगड़ाई हिन्दी साप्ताहिक में उप-सम्पादक का कार्य किया।
- क्रान्तिमन्यु हिन्दी मासिक में सम्पादन सहयोग का कार्य किया।
- भारत के सन्त और भक्त पुस्तक पर उ.प्र.हिन्दी संस्थान द्वारा 8000/- रू. का वर्ष 1995 का अनुशंसा पुरस्कार प्राप्त।
- रम्भा-ज्योति(हिन्दी मासिक) द्वारा कविता पर 'रम्भा श्री' उपाधि से अलंकृत।
- चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1989 में ज्योतिष बृहस्पति उपाधि से अलंकृत।
- पंचम अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1991 में ज्योतिष भास्कर उपाधि से अलंकृत।
- फ्यूचर प्वाईन्ट द्वारा ज्योतिष मर्मज्ञ की उपाधि से अलंकृत।
मेरा कथन-'मेरा मानना है कि जीवन का हर पल कुछ कहता है जिसने उस पल को पकड़ कर सार्थक बना लिया उसी ने उसे जी लिया। जीवन की सार्थकता उसे जी लेने में है।'

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