मणि सरीन जो पिछले दशक तक एक व्यवरूपिका रह चुकी हैं , अब एक कुशल गृहणी हैं, जो गुड़गाँव में रहती हैं। उनके जीवन में रिश्ते-नाते सर्वोपरी हैं, इस स्वाभाविक गुण को उन्होंने अपनी माँ "कृष्णा" के सरल व्यक्तित्व से अपनाया है। "रिश्तों के मोती" उनके मन के उद्गार हैं जिसे उन्होंने शब्दों मैं पिरो कर कविताओं का रुप दिया है।