Sanjog: संजोग

·
Dr. Umesh Puri
3.6
5 રિવ્યૂ
ઇ-પુસ્તક
30
પેજ

આ ઇ-પુસ્તક વિશે

 'संजोग' पुस्तक में लड़के द्वारा अपने विवाह हेतु लड़की ढूंढते समय उसे विवाह से पूर्व देखने जाने के लिए लिखा गया एक प्रेम पत्र है। यह प्रेम पत्र लड़की को तब लिखा गया था जब उसे प्रथम बार देखने जाना था और उसे देखकर जीवन भर के लिए पसन्द करना था। पत्र के उत्तर में यदि उसे लड़की की सहमति मिली तो उसे देखने जाएगा। क्या पत्र के उत्तर में लड़की ने लड़के को आने की  स्वीकृति दी? क्या लड़का उसे देखने गया? लड़का देखने गया तो क्या हुआ? वे दोनों एक हुए या नहीं? इन सब प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें!

રેટિંગ્સ અને સમીક્ષાઓ

3.6
5 રિવ્યૂ

લેખક વિશે

 नाम-डॉ. उमेश पुरी 'ज्ञानेश्वर'
जन्मतिथि-2 जुलाई 1957
शिक्षा-बी.-एस.सी.(बायो), एम.ए.(हिन्दी), पी.-एच.डी.(हिन्दी)
सम्प्रति-ज्योतिष निकेतन सन्देश(गूढ़ विद्याओं का गूढ़ार्थ बताने वाला हिन्दी मासिक) पत्रिका का सम्पादन व लेखन। सन्‌ 1977 से ज्योतिष के कार्य में संलग्न
अन्य विवरण पुरस्कार आदि -
- विभिन्न विषयों पर 74 पुस्तकें प्रकाशित एवं अन्य पुस्तकें प्रकाशकाधीन।
- 4 ईबुक्स आॅनलाईन स्मैश वर्डस पर प्रसारित।
- 3 ईबुक अॅमेजन किंडल डायरेक्‍ट पब्‍लिशिंग पर आॅनलाईन प्रसारित।
- 35 ईबुक गूगल प्‍ले बुक्‍स पर आॅनलाईन प्रसारित।
- राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में अनेक लेख, कहानियां एवं कविताएं प्रकाशित।
- युववाणी दिल्ली से स्वरचित प्रथम कहानी 'चिता की राख' प्रसारित।
- युग की अंगड़ाई हिन्दी साप्ताहिक में उप-सम्पादक का कार्य किया।
- क्रान्तिमन्यु हिन्दी मासिक में सम्पादन सहयोग का कार्य किया।
- भारत के सन्त और भक्त पुस्तक पर उ.प्र.हिन्दी संस्थान द्वारा 8000/- रू. का वर्ष 1995 का अनुशंसा पुरस्कार प्राप्त।
- रम्भा-ज्योति(हिन्दी मासिक) द्वारा कविता पर 'रम्भा श्री' उपाधि से अलंकृत।
- चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1989 में ज्योतिष बृहस्पति उपाधि से अलंकृत।
- पंचम अन्तर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन-1991 में ज्योतिष भास्कर उपाधि से अलंकृत।
- फ्यूचर प्वाईन्ट द्वारा ज्योतिष मर्मज्ञ की उपाधि से अलंकृत।
मेरा कथन-'मेरा मानना है कि जीवन का हर पल कुछ कहता है जिसने उस पल को पकड़ कर सार्थक बना लिया उसी ने उसे जी लिया। जीवन की सार्थकता उसे जी लेने में है।'

માહિતી વાંચવી

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