Sant Ravidas Ratnawali: Bestseller Book by MAMTA JHA: Sant Ravidas Ratnawali

· Prabhat Prakashan
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संत रविदास का जन्म वाराणसी के निकट मंडूर नामक गाँव में संवत् 1433 को माघ पूर्णिमा के दिन माना जाता है। उनके विभिन्न नाम हैं—रविदास; रैदास; रादास; रुद्रदास; सईदास; रयिदास; रोहीदास; रोहिदास; रूहदास; रमादास; रामदास; हरिदास। इनमें से रविदास तथा रैदास दो नाम तो ऐसे हैं; जो दोनों ही उनकी रचनाओं में उपलब्ध होते हैं।
बचपन से ही उनकी रुचि प्रभु-भक्‍ति और साधु-संतों की ओर हो गई थी। बड़ा होने पर उन्होंने चर्मकार का अपना पैतृक काम अपना लिया। जूता गाँठते हुए वे प्रभु भजन में लीन हो जाते। जो कुछ कमाते; उसे साधु-संतों पर खर्च कर देते।
रविदास ने उस समय के प्रसिद्ध भक्‍त गुरु रामानंद से दीक्षा ली। उन्होंने ऊँच-नीच के मत का खंडन किया। वे अत्यंत विनीत और उदार विचारों के थे। उनकी भक्‍ति उच्च दर्जे की थी। वे कठौती में ही गंगाजी के दर्शन कर लिया करते थे।
‘संत रैदास की वाणी’ में 87 पद तथा 3 साखियों का संकलन ‘रैदास’ के नाम से हुआ है; जिनमें से लगभग सभी में ‘रैदास’ नाम की छाप भी मिलती है। प्रस्तुत पुस्तक में संत रविदास के आध्यात्मिक जीवन; उनकी रचनाओं; उनके जप-तप और समाज-उद्धार के लिए किए गए कार्यों का सीधी-सरल भाषा में विवेचन किया गया है।

Ratings and reviews

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Udesh Regar
27 October 2023
जय श्री राम ‼️ जय संत रविदास जी 🕉️🚩🇮🇳
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Ashvin Chavda
22 September 2018
Good,
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vijay makwana
10 May 2021
Good
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About the author

जन्म : 13 जनवरी, 1973 को सरीसाब पाही (मधुबनी), बिहार में। शिक्षा : हिंदी में स्नातकोत्तर। कृतित्व : लेखिका ने आत्मविकास, समसामयिक विषयों पर पुस्तकें और अनेक महापुरुषों की जीवनियाँ लिखी हैं। पत्र-पत्रिकाओं में नियमित स्तंभ भी प्रकाशित।

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