Satya ke Prayog: संक्षिप्त आत्मकथा - सत्य के प्रयोग - गांधीजी की आत्म-कथा कायुवकोपयोगी संस्करण

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इस संस्करण के तैयार करने में मुख्य ध्यान इस बात पर रखा गया है कि यह विद्यार्थियों के लिए उपयोगी हो । इसलिए बहुत-से लंबे विवरण और चर्चाएं जो स्कूल-जीवन में विशेष उपयोगी नहीं हो सकतीं, आत्मकथा में से कम कर दी गई हैं । दक्षिण अफ्रीका का सत्याग्रह-संबंधी कुछ भाग, जो मूल 'आत्मकथा' में विस्तार-भय से छोड़ दिया गया था, दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह के आधार पर इस संस्करण में जोड़ दिया गया है।

गांधीजी के प्रयोग और उनके विचार मानव-जीवन को उदात्त बनाने वाले हैं । अतः इनकी उपयोगिता सर्वकालिक और सार्वदेशिक है। हमारे बाल और युवक विद्यार्थियों के लिए तो यह और भी महत्त्व की है; क्योंकि भारत के नवनिर्माण की जिम्मेदारी उन्हीं पर है और उन्हें इस भारी) दायित्व के योग्य अपने को बनाना है । पुस्तक की भाषा इतनी सरल और विषय इतने रोचक हैं कि बालक और युवा सब आसानी से समझ सकते हैं।

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