पांचजन्य चालीसा रचनाखंड में वर्णित पांचों चालीसाओं के पठन- पाठन से एक ओर जहांँ लोभ, मोह और भय जैसे विकारों से सदा-सदा के लिए मुक्ति मिल सकेगी वहींं दूसरी ओर ऊंँच -नीच, जातिवाद, पाखंडवाद जैसी दुर्भावनाओं से मुक्ति मिल सकेगी, साथ ही व्यक्ति के अंतर्मन में मानवता, प्रेम, बंधुत्व के साथ विज्ञान, तर्क और संविधान के प्रति आस्था उत्पन्न करने वाले भावों का संचार हो सकेगा।