"प्रिय पाठको,
सप्रेम प्रणाम,
मैं सूबेदार ए.ई.सी. पंडित झंण्डेलाल भट्ट, विशिष्ट शिक्षा
अनुदेशक एम.बी.ए (अ.प्रा.) ने सेना मे 21 वर्ष तक सेना शिक्षा कोर में सेवा
की, और वर्ष 2008 मे सेवा निवृत्त हुआ।
मै, इंदौर स्टेट के अधिपति पेशवा राजे गंगाराव की, दसवी पीढी
मे हुँ।
सन् 1761 ईसवी के पानीपत के तृतीय युद्ध के परिणाम स्वरूप
किरावली नगर, आगरा (उ.प्र.) हमारा नया ठिकाना बना। यहीं पेशवा राजे
गंगाराव किरार राजपूतों से एक मुठभेड मे वीरगति को प्राप्त हुये थे । महान
पेशवा को पानीपत की युद्ध विभिषिका से शाही महिलाओं नवाब समशेर बहादुर
और राजकुमार विश्वासराव की लाश सुरक्षित लाने का श्रेय है।
मेरी ""पूजा एन.सी.सी"" गाईड श्री राजीव जैन, नवजीवन प्रिन्टर्स
एवं पब्लिशर, आगरा (उ.प्र.) प्रकाशित कर चुके है।
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मेरी ""आर्मी रिकुटमेंट गाईड"" सोल्जर जी.डी. के लिये रोज
पब्लिकेशन, नई दिल्ली प्रकाशित कर रहे है तथा श्री वारूणमार्तण्ड
अधिराज"" का प्रकाशन बुक्स क्लीनिक के श्री हितेश बिसेनजी कर रहे है।
यह पुस्तक श्रीरामचरितमानस की सम्पूरक है, इसमें महाकवि के
कुछ संदर्भों की समालोचनात्मक विवेचना है। पुस्तक में चित्तपावन वारूण
भट्ट ब्रहाम्णों के पांच महानवंश, शुंग, सातवाहन, गुप्त, वाकाटक एवं पेशवा
राजवंश का प्राचीन इतिहास सन् 1761 ई. तक दिया गया है।
यह भारतीय प्राचीन इतिहास और भक्ति काव्य की महान रचना
श्री रामचरितमानस की समालोचना पर उत्तम पुस्तक है।"