Avchetan Mann Ki Shakti Ke Peeche Aatmabal: Mann Ka Prashikshan Aur Panch Shaktiyan

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.2
52 reviews
Ebook
156
Pages

About this ebook

अवचेतन मन किसी अजूबे से कम नहीं। उसे सही प्रशिक्षण दिया जाए तो वह आपके जीवन में अनोखे चमत्कार कर सकता है। पर क्या आप जानते हैं कि मानव जन्म का लक्ष्य क्या है? यदि नहीं तो आपको इस पुस्तक की जरूरत है। यह पुस्तक अवचेतन मन की शक्तियों के साथ-साथ आपकी आगे की संभावनाओं पर भी रोशनी डालती है। इस पुस्तक में आप पढ़ेंगे –


* अवचेतन मन को प्रशिक्षित क्यों और कैसे किया जाए?
* इस मन के पार कौन सी 5 शक्तियां हैं जो आत्मबल प्रदान करती हैं?
* अपने इमोशन्स को कैसे संभाला जाए?
* अपनी ऊर्जा को एकत्रित क्यों और कैसे किया जाए?
* आत्मबल से पहाड़ जैसे लक्ष्य को कैसे हासिल किया जाए?
* आपकी सही उपस्थिति चमत्कार कैसे करे?
* फल के प्रति उदासीन रहने के क्ङ्का फायदे हैं?
* सहनशीलता, धैर्य और अनुशासन जैसे गुण स्वयं में कैसे लाएँ?
* अवचेतन मन की 7 शक्तियों का सार क्या है?

Ratings and reviews

4.2
52 reviews
GOLDI KASANA
October 15, 2017
So sweet sir
27 people found this review helpful
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stop masterbation
October 11, 2019
Very very nice
29 people found this review helpful
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Suraj Mishra
May 23, 2020
good
13 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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