Kshama Ka Jadu: Say Sorry Within And Be Free

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.7
35 reviews
Ebook
170
Pages

About this ebook

माफ़ी माँगकर इंसाफ़ करने की कला

क्या आप स्वयं से प्रेम करते हैं? क्या आप हमेशा खुश रहना चाहते हैं? क्या आप अपने पारिवारिक, सामाजिक, व्यावसायिक रिश्तों को मधुर बनाना चाहते हैं? क्या आप जीवन में सफलता की सीढियाँ चढ़ना चाहते हैं?

यदि आपके लिए इन सभी प्रश्नों का उत्तर ‘हाँ’ में है तो आपको बस एक ही शब्द कहना सीखना है –
‘सॉरी’ यानी मुझे माफ़ करें.’ सॉरी, क्षमा, माफ़ी.. भाषा चाहे कोई भी हो, पूरे दिल से माँगी गई माफ़ी आपके जीवन में चमत्कार कर सकती है. यह आपका इंसाफ़ (मन की सफ़ाई) कर सकती है. यहाँ तक कि आपके पिछले सभी कर्मबंधन समाप्त कर आपके भाग्य भी चमका सकती है.

यह पुस्तक आपको क्षमा का जादू सीखने जा रही है. इसमें आप सीखेंगे –
क्षमा के द्वारा सुख- दुःख के पार पहुँचकर आनंदित कैसे रहें
विकारों के चंगुल से निकलने के लिए क्या करें
अपने सभी कर्मबंधनों को क्षमा के द्वारा कैसे मिटाएँ
अपने शरीर के अंगों से क्षमा माँगकर स्वास्थ्य कैसे पाएँ
दूसरों को क्यों और कैसे माफ़ करके ख़ुद से प्रेम करें
क्षमा से मोक्षमा की अंतिम सफलता असफलता कैसे पाएँ

Ratings and reviews

4.7
35 reviews
Satish Kataria
February 29, 2020
This is most wonderful book ever on forgiveness. why should we say sorry for our mistakes and why should we also forgive ourselves in a way very easy and effective
16 people found this review helpful
Did you find this helpful?
Shivam Singh
February 26, 2021
very bad
5 people found this review helpful
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Ashwani Kumar
May 16, 2020
Book mujhe chahiye
31 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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