Mann Sataye To Kya Kare

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दुश्मन मन को मित्र कैसे बनाएँ

                आज तकनीकीविकास के साथ बनी बोलनेवालीमशीन जैसे अलेक्सा, सीरी, गुगल असिस्टंटद्वारा लोग कोई गाना यान्यूज चलाना, किसीको फोन लगानाया मैसेज भेजनाआदि कार्य आसानीसे कर पाते हैं। मानलें, यदि ये उपकरण बिगड़जाएँ और बताए गए कार्यके बजाय कुछऔर ही करने लगें, खुदही आपको कुछगलत समाचार सुनानेलगें, आपको परेशानकरने लगें तो आप उसेक्या कहेंगे? आपकहेंगे, ‘जितना बताया, उतना ही करो। तुम मेरेलिए बनाए गए हो, मैंतुम्हारे लिए नहीं।’

                मन ऐसीही बोलनेवाली मशीनहै, जिसका रिमोटइंसान के हाथ में है।मगर वह मन की बातोंमें आ जाता है। मनउसकी सेवा करनेके बजाय दुश्मनकी तरह, इंसानको ही अपनी सेवा मेंलगाता है और उसे अपनीऊँगलियों पर नचाताहै।

                इस पुस्तकमें पढ़ें ऐसेउपाय, जिससे आपकामन एक अच्छामित्र बनकर सदैवआपकी सेवा मेंतत्पर रहे* क्या पूछने सेमन चुप होगा

* क्या सोचने सेमन शांत होगा

* कौन सा प्रशिक्षणपाकर मन समभावमें रहेगा

* मन के विचारचक्र की दिशा कैसे बदलें

* मन को यादोंसे खाली कैसेकरें

* मन के कोरथॉटस् कैसे पहचानें

* सच्चाई को अपनाकोर थॉट कैसेबनाएँ

* रिश्तों में मनसताए तो क्या करें, क्यान करें

* मन में भरीभावनाओं को कैसे देखें

* मन के सतानेसे मुक्ति पानेका आखिरी उपायक्या है।


Ratings and reviews

4.4
22 reviews
Nikita Lohar
October 6, 2022
good
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Swapnil Chavan
July 5, 2020
Awesome
32 people found this review helpful
Did you find this helpful?
jayshree dhange
August 14, 2020
Anant koti koti Dhanyawad Dhanyawad Dhanyawad Sirshree 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
22 people found this review helpful
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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