गीता एक ऐसा आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो सदियों से सत्य साधकों के अतिरिक्त संसारियोंऔर दार्शनिकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है। समय-समय पर गीता को विश्व के विभिन्न दार्शनिकों ने, रचनाकारों ने अपनी भाषा में, अपने दृष्टिकोण से, अपनी समझ के साथ पुनः-पुनः प्रस्तुत किया है। ऐसा ही एक प्रयास तेजज्ञान फाउंडेशन ने भी किया है। प्रस्तुत गीता में श्रीकृष्ण की वाणी को तेजज्ञान के प्रकाश में लाया गया है ताकि इसके पीछे छिपी सार्थक समझ को सरलतम रूप में पाठकों तक पहुँचाया जा सके।
गीता सिर्फ अर्जुन का संशय दूर नहीं करती, यह हर उस इंसान को राह दिखाती है, जो रोज किसी न किसी समया रूपी युद्ध में घिर जाता है। यह एक ऐसी युक्ति है, जिससे आपके संघर्ष खेल बन जाएँगे, आपकी ज़िम्मेदारियाँ न सिर्फ सहजता से पूरी होंगी बल्कि आपके आनंद औरमुक्ति का कारण भी बन जाएँगी। अपनी किसी भी समया के जवाब के लिए आपको कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं, गीता में समस्त जवाब मिल जाएंगे। इसमें आप जानेंगे जीवन की अठारह युक्तियाँ -
* असमंजसता (दुविधा) के लिए युक्ति
* परम शांति युक्ति
* कायम उपाय पाने की युक्ति
* बेबसी (अविश्वास) के लिए युक्ति
* पूर्ण योगी युक्ति
* सत्-चित्त मन युक्ति(SCM)
* अज्ञान के लिए युक्ति
* सद्गति युक्ति
* असाधारण समर्पण युक्ति
* उपासना युक्ति
* हम ब्रम्हास्मि युक्ति
* ईश्वर का प्रिय बनने की (Dear of God)
* यथार्थ जीवन जीने की युक्ति
* सुस्ती मिटाने की युक्ति
* उत्तम पुरुषोत्तम युक्ति
* शास्त्र अनुकूल कर्म युक्ति
* श्रद्धायुक्त युक्ति
* अंतिम युक्ति-शुभक्ति
गीता वह पतवार है, जिसके सहारे अर्जुन की जीवन नैया कर्तव्यबोध और स्वबोध के दो किनारों पर एक साथ लगी।आज यह पतवार आपको मिलने जा रही है। अपने जीवन की यात्रा इस पतवार के सहारे पार करेंगे तो सदामुक्त और आनंदित रहेंगे।
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।