Sukhi Jeevan Ke PASSWORD: Kaise kholen dukh, ashanti aur pareshaani ka tala

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.0
22 reviews
Ebook
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सच्चे सूत्र सुखी जीवन के

इंसान अपनी गलत आदतों, नकारात्मक विचारों में उलझकर अपने ही जीवन को जटिल बना देता है। फिर बंधनों से मुक्त होना, आज़ादी प्राप्त करना तो दूर वह खुद के बनाए गए दु:खरूपी नर्क में जीवन बिताने पर मज़बूर हो जाता है। शांति और संतुष्टि उसके जीवन से कोसों दूर रह जाते हैं। इसके विपरित जब इंसान सुखी जीवन के सच्चे सूत्र समझ लेता है तो वह एक खुशहाल, सुखी जीवन का ताला खोल देता है।

इस पुस्तक में सुखी जीवन के आठ पासवर्ड दिए गए हैं। इन पासवर्डस् की सहायता से आप अपने दु:ख, अशांति और परेशानी का लॉकर खोल पाएँगे। हो सकता है कि ये आठ पासवर्ड आपको बहुत साधारण लगें मगर जब आप रोज़मर्रा के जीवन में इनका इस्तेमाल करेंगे तो आपका जीवन शांति और संतुष्टि से खिल उठेगा। आइए पुस्तक के कुछ महत्वपूर्ण नुक्तों पर नज़र डालें-
* सफल सुखी जीवन के पासवर्ड कैसे प्राप्त करें
* भावनाओं की गुफा से कैसे गुज़रें
* कम-कम कहना कैसे बंद करें
* वहम रूपी तिलिस्म को कैसे तोड़ें
* दुःख को खुशी की नज़र से कैसे देखें
* पड़ोसी का सुख आपका दुःख कैसे न बने
* दुःख का दुःख करना कैसे बंद करें
* साझेदार से अपने सबक कैसे सीखें

Ratings and reviews

4.0
22 reviews
Rafik Alam
November 11, 2019
Best book 📖
24 people found this review helpful
Did you find this helpful?
Arvind Kumar
December 10, 2022
very good
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Shaitan Shaitan kathat
January 31, 2024
Muje book padkar me jivan ke password khojane me half mily or perm khousi or annad mila
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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