कई किताबों के बोलते अक्षर समेट लाया हूँ,अपनी आँखों में मुहब्बत के समन्दर समेट लाया हूँ।मैं वादियों पे गया था नज़ाकत को ढूँढ़ने,शोख़ियों के वजन का गठ्ठर समेट लाया हूँ।