Sulgan

· Rajkamal Prakashan
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Ebook
125
Pages

À propos de cet ebook

समकालीन हिन्दी कहानी में भाषा का ऐसा संवेदना से पगा सुललित प्रयोग इधर अकसर देखने में नहीं आता जैसा कैलाश वानखेड़े के यहाँ मिलता है। वे कहानी के पात्रों को मंजिल तक पहुँचाकर अपने कथा-सूत्र को समेटने की जल्दी में नहीं रहते। इसके बजाय पाठक को कुछ समय उस वातावरण में रहने देते हैं, जहाँ वे उसे लेकर गए हैं। आसपास का प्राकृतिक और नागरिक परिवेश उनकी भाषा में एक पात्र की तरह ही साकार होता चलता है। गहरी संवेदना, विषयों की बहुविधता, और संवेदना के गहरे सरोकारों के लिए भी उनके कथाकार को विशेष रूप से जाना जाता है। इस संकलन में कैलाश वानखेड़े की नौ कहानियाँ हैं—‘उन्नति जनरल स्टोर्स’, ‘जस्ट डांस’, ‘जिंदगी और प्यास', ‘गोलमेज’, ‘उस मोड़ पर’, ‘कँटीले तार’, ‘खापा’, ‘काली सडक़’ और ‘हल्केराम’। अपने कथ्य, भाषिक प्रांजलता और सघन सामाजिक मानवीय संवेदनाओं के लिए ये कहानियाँ लम्बे समय तक याद रखी जाएँगी। माँ की याद के साथ देखता हूँ गुलमोहर | गुलमोहर लाल नहीं है | छिटपुट हरी पत्तियों के साथ गुलमोहर के फल, बीज लेकर लटके हुए हैं | फूलों का रंग उड़ गया क्या ? बूढी आँखों से तो यही लगता है | इतवार को मजदूर दिवस पर समाचार सुनने के बजाय गुलमोहर के बारे में सोचता हूँ | ये घनी छाया नहीं देता है | घर पर लगे हुए तीन की चद्दरें घनी छाया देती हैं लेकिन शीतलता नहीं देतीं | गुलमोहर का तना, टहनी, फूल की छाया में बैठकर, लेटकर मैं पेड़ के बारे में सोचता हूँ, लगता है पेड़ से बात करता हूँ | हम दोनों की बातचीत में कोई खलल नहीं डालता | उम्र के इस आखिरी पड़ाव में भी बातें करता हूँ गुलमोहर से | -- इसी पुस्तक से

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Quelques mots sur l'auteur

कैलाश वानखेड़े जन्म : 11 जनवरी, 1970 इन्दौर में | शिक्षा : मराठी में प्राथमिक शिक्षा, समाजशास्त्र से स्नातकोत्तर | प्रकाशित कृतियाँ : हिंदी की प्रमुख पत्रिकाओं में कहानियों का प्रकाशन | पहला कहानी-संग्रह ‘सत्यापन’ 2013 में प्रकाशित | मराठी, छत्तीसगढ़ी, पंजाबी आदि भाषाओँ में कई कहानियाँ अनूदित | सम्मान : ‘राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान’ | सम्प्रति : रा.प्र. से. की सरकारी नौकरी |

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