भारत की आध्यात्मिक विरासत का प्रसार और प्रचार करने के लिए स्वामी विवेकानन्दजी अग्रदूत थे। वे भगवान श्रीरामकृष्ण के प्रधान शिष्य थे, तथा अपने गुरु के ही मार्गदर्शन के अनुसार उन्होंने ‘रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण मिशन’ इस जुड़वी संस्था की, जो रामकृष्ण-संघ के नाम से विख्यात है, स्थापना की। रामकृष्ण-संघ का बोधवाक्य है : ‘आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च’ — अर्थात् अपने स्वयं की मुक्ति के लिए और जगत् के कल्याण के लिए। इसी उदार उद्देश को लेकर यह संस्था कार्यरत है। आधुनिक युग के अवतार के रूप में पूजित अपने गुरु श्रीरामकृष्ण देव की कल्याणमयी वाणी का सम्पूर्ण जगत में प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्दजी ने उनके ही नाम से इन आध्यात्मिक संस्थाओं की स्थापना की थी। ये संस्थाएँ आज भी स्वामीजी के निर्देशों का यथासाध्य पालन करते हुए विश्व-मानवता की सेवा में रत है। प्रस्तुत पुस्तक रामकृष्ण मठ एवं मिशन के सम्बन्ध में सेवाधर्म का, उपयोगी एवं प्रेरणादायी विवरण प्रदान करती है। इस पुस्तक के द्वारा रामकृष्ण संघ के अनुरागीगण महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त करेंगे तथा कुछ सेवाव्रती इस अनोखी संस्था के सम्बन्ध में जानकर और प्रेरणा लेकर इस संस्था से जुड़कर अपना जीवन धन्य करेंगे ऐसा हमें विश्वास है।