अश्विनी कुमार पंकज का जन्म 1964 में हुआ। रांची विश्वविद्यालय, रांची से कला स्नातकोतर। अभिव्यक्ति के सभी माध्यमों-रंगकर्म, कविता-कहानी, आलोचना, पत्रकारिता एवं डॉक्यूमेंट्री में समान रूप से सृजन। झारखंड आंदोलन में सघन संस्कृतिकर्म। आदिवासी विषय इनके सृजनकर्म के केंद्र में है। कई नाटकों का मंचन, पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन और दो दर्जन से ज्यादा डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का निर्माण। अब तक कहानी के 4, कविता की 6, नाटकों के 2, राजनीति पर एक, जयपाल सिंह मुंडा पर 3 और हिंदी में एक उपन्यास ‘माटी माटी अरकाटी’ प्रकाशित। यह उपन्यास 19वीं सदी की शुरुआत में झारखंड से मॉरिशस, फिजी आदि द्वीपों पर ले जाए गए आदिवासी गिरमिटियों पर केंद्रित है जिसमें मगही, भोजपुरी और नागपुरी भाषाओं का अद्भुत सृजनात्मक उपयोग हुआ है। नब्बे के शुरुआती दशक में जन संस्कृति मंच एवं उलगुलान संगीत नाट्य दल, रांची के संस्थापक संगठक सदस्य। फिलहाल लोकप्रिय मासिक नागपुरी पत्रिका ‘जोहार सहिया’, पाक्षिक बहुभाषी अखबार ‘जोहार दिसुम खबर’ और रंगमंच एवं प्रदर्श्यकारी कलाओं की त्रैमासिकी ‘रंगवार्ता’ का संपादन-प्रकाशन।