विविध महत्त्वपूर्ण विषयों पर स्वामी विवेकानन्दजी के कुछ लेखों की ‘चिन्तनीय बातें’ के रूप में हम पाठकों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वामीजी ने अपनी मौलिक शैली में ‘हमारी वर्तमान समस्या’, ‘ज्ञानार्जन’, ‘चिन्तनीय बातें’ इत्यादि विषयों पर अपने विचार प्रकट किये हैं और उनके द्वारा व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय जीवन की कुछ धार्मिक तथा सामाजिक समस्याओं को सामने रखते हुए उन्हें सुलझाने का मार्ग दिग्दर्शित किया है। धर्मप्राण भारत आज प्रकृत धर्म को खोकर, सामाजिक व्यवस्थानों के अपने महान् आदर्श को भूलकर पतन की किस गहराई तक उतर चुका है, इसकी स्पष्ट झाँकी स्वामीजी ने दर्शाई है, और वह किस प्रकार पुन: अपनी खोयी हुई आध्यात्मिकता को लाभ कर पूर्ववत् — नहीं, पहले से भी अधिक उन्नत हो सकता है तथा संसार के समस्त राष्ट्रों का अग्रणी बन सकता है यह भी उन्होंने अपूर्व ढंग से समझाया है। ये सब बातें हमारे लिए विशेषरूप से चिन्तनीय हैं।