ये तह़क़ीक़ी रिसाला जिसअ़ल्लामा क़ासिमुल् क़ादिरी अल्-अज़्हरी ने तह़रीर फ़रमाया है, दलाइल से भरपूर है और ऐसे लोगों की जहालत को स़ाबित करता है जो अपने घर की ख़बर लिए बग़ैर दूसरों पर कीचड़ उछालने की कोशिश में लगे रहते हैं। ख़ुद मुख़ालिफ़ीन की किताबों में इस की मिसालें भरी पड़ी हैं कि औरत को ' से ताबीर किया गया है जिसकी तफ़सील इस रिसाले में दर्ज है। इस्लाम को बदनाम करने और मुसलमानों को अपने दीन से बदज़न करने के लिए ऐसे एतराज़ात किए जाते हैं लेकिन अल्ह़म्दुलिल्लाह हमारे पास इन एतराज़ात का ऐसा जवाब मौजूद है कि हर अक़्ले सलीम रखने वाले के पास इसे क़बूल करने के इ़लावा कोई चारा नहीं है; हाँ जो आँख रखकर भी अंधे, कान वाले होते हुए भी बहरे और अक़्ल को जहालतों और नफ़रतों के बोझ तले दबा कर समझने की सलाहियत खो चुके हैं तो ऐसों का कोई इ़लाज नहीं। अल्लाह तआला मुसन्निफ़ को सलामत रखे और इसी तरह इस्लाम का दिफ़ा करते रहने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। खेती'े