'मृत्यु से साक्षात्कार' को विषय बनाकर मानव के जीवन और उसकी नियति का इतने कम शब्दों में मार्मिक और भव्य विवेचन इस उपन्यास की गरिमा का मूल है। मृत्यु को सामने पाकर जैसे प्रियजन भी अजनबी हो जाते हैं और अजनबी बहचाने हुये। इस चरम स्थिति में मानव का सच्चा चरित्र उभरकर आता है - उसका प्रत्यय, उसका अदम्य साहस और उसका अलौकिक प्रेम भी, वैसे ही और उतने ही अप्रत्याशित ढंग से क्रियाशील हो उठते हैं, जैसे उसकी निम्नतर प्रवृत्तियाँ।... महान् साहित्यकार सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' का महत्वपूर्ण उपन्यास - अपने अपने अजनबी