राख और अंगारे (Hindi Sahitya): Raakh Aur Angaare (Hindi Novel)

·
· Bhartiya Sahitya Inc.
3.9
15 reviews
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257
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‘मेरी भी एक बेटी थी। उसे जवानी में एक आवारा व्यक्ति से प्रेम हो गया। मेरे लाख समझाने पर भी वह बाज न आई और एक दिन वह उसके साथ भाग गई परन्तु उस आवारा ने उससे विवाह नहीं किया और उसे नर्तकी बनाकर बीच मझदार में छोड़ दिया और स्वयं उसकी कमाई पर ऐश करता रहा-' -इसी उपन्यास से

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About the author

गुलशन नन्दा 
(मृत्यु 16 नवम्बर 1985) 

हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार तथा लेखक थे जिनकी कहानियों को आधार रख 1960 तथा 1970 के दशकों में कई हिन्दी फ़िल्में बनाई गईं और ज़्यादातर यह फ़िल्में बॉक्स ऑफ़िस में सफल भी रहीं। उन्होंने अपने द्वारा लिखी गई कुछ कहानियों की फ़िल्मों में पटकथा भी लिखी। उनके द्वारा लिखी गई कुछ हिट फ़िल्मों के नाम हैं- काजल, पत्थर के सनम, कटी पतंग, खिलौना, शर्मीली इत्यादि हैं। 


इसके आलावा उनके लिखे कुछ उपन्यासों के नाम हैं - अजनबी, अन्धेरे चिराग, आसमान चुप है, कटी पतंग, कलंकिनी, काँच की चूड़ियाँ, काली घटा, गुनाह के फूल, गेलार्ड, घाट का पत्थर, चिनगारी, जलती चट्टान, झील के उस पार, टूटे पंख, डरपोक, तीन इक्के, तीन रंग, देव छाया, नीलकंठ, पत्थर के होंठ, पिंजरा, प्यासा सावन, भँवर, माधवी, मेंहदी, मैं अकेली, रूपमती, वापसी, सांवली रात, सितारों से आगे, सिसकते, सूखे पंड़ सब्ज़ पत्ते आदि।

 

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